सामना ने बीजेपी पर सीएम फडणवीस पर साधा
मुंबई: महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में इसे लेकर फडणवीस सरकार पर जमकर हमला बोला है। सामना में लिखा, महाराष्ट्र सरकार के फैसले से स्थानीय जनता को ठेस लगी है। हम हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन अगर हिंदी हमपर थोपी जाएगी तो हम याद रखेंगे, हमारी मातृभाषा हमारा स्वाभिमान है, ये हमारी सांस्कृतिक पहचान है। सामना में अन्य राज्यों के अंदर हिंदी भाषा की ज़रूरत पर सवाल खड़े किए हैं, इसमें गुजरात के स्कूलों से हिंदी को हटाए जाने की बात कही गई है।
हिंदी थोपी जाएगी तो याद रखेंगे
‘सामना’ में बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, पीएम मोदी और अमित शाह ने गुजरात की स्कूली शिक्षा से हिंदी को तो हटा दिया लेकिन महाराष्ट्र में मराठी भाषा को मिटाने के लिए स्कूली शिक्षा में हिंदी को अनिवार्य कर दिया। यहां हिंदी को अनिवार्य करने जैसी कोई ज़रूरत ही नहीं थी, जब देश के प्रधानमंत्री बिहार में इंग्लिश में स्पीच देते हैं, इसके अलावा जब वो डोनाल्ड ट्रंप से हिंदी में बात करते हैं तो उस देश में हिंदी को अनिवार्य करने की क्या जरूरत है? हिंदी के वर्चस्व को दूसरों पर लादने की क्या जरूरत है? हिंदी साहित्य और कला का विकास मुंबई में हुआ, इसलिए यहां हिंदी प्रचलित है, लेकिन अगर हिंदी मराठी भाषा की जड़ें काटे तो इससे स्थानीय जनता का आंदोलन करना स्वभाविक है।
फडणवीस सरकार मराठी भाषा पर आक्रमण कर रही
सामना में लिखा, डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर ने साफ तौर पर कहा है कि भाषा के आधार पर लोगों को विभाजित करना सही नहीं है। किसी भी भाषा को किसी पर थोपा नहीं जा सकता। अगर हिंदी महाराष्ट्र के लिए अनिवार्य कर दी जाती है तो इसे बेलगांव जैसे मराठी इलाकों में भी क्यों नहीं लागू किया जा रहा? जबकि यहां का इतिहास मराठा साम्राज्य से जुड़ा है। मध्य प्रदेश में होलकर और शिंदे का शासन था लेकिन कभी भी उन्होंने हिंदी पर मराठी को नहीं थोपा। भोसलों ने तंजावुर पर शासन तो किया लेकिन मराठी को शासन की भाषा नहीं बनाया। फडणवीस सरकार मराठी भाषा पर आक्रमण करते हुए साजिश कर रही है।