यूबीटी नेता भास्कर जाधव
नागपुर: शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट से विधानसभा में पक्षनेता भास्कर जाधव ने कहा कि जब भी चुनाव आते हैं तो आरएसएस भाजपा के समर्थन में मैदान में उतरता है। संघ के सिवाय भाजपा जीरो है। वह जीत ही नहीं सकती। देश में हिन्दुत्व का प्रचार हो या राम मंदिर निर्माण सभी पार्टी, सभी जाति-धर्म के लोग जाते हैं। भास्कर जाधव ने स्थानीय निकाय चुनाव के संदर्भ में नागपुर पदाधिकारियों की बैठक लेने आए थे।
भास्कर जाधव ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए सभी धर्म के लोगों से दान लेते हैं और चुनाव आता है तो सिर्फ भाजपा का प्रचार करते हैं। संघ की यह दोहरी नीति लोगों की समझ में आ गई है। संघ की स्थापना हुए 100 वर्ष हो गए, बावजूद अपनी विचारधारा का नेतृत्व व जनप्रतिनिधि खड़ा नहीं कर पाये, यह उनकी हार है। जाधव ने भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि दूसरों की पार्टी से नेतृत्व लेकर अपनी पार्टी बड़ा कर रही है।
मुझसे घबराती है बीजेपी
जाधव ने दावा किया कि मैं सदन में नियम व कायदे के दायरे में रहकर पूरी आक्रामकता से अपना पक्ष रखता हूं। आंख में आंख डालकर बोलता हूं। इसलिए बीजेपी मुझसे घबराती है। यही कारण है कि मुझे सरकार विरोधी पक्षनेता का पद देने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि विरोधी पक्षनेता के संदर्भ में संसदीय कानून में कोई नियम नहीं है। आज नहीं तो कल वे पद देंगे, ऐसा मुझे लगता है। विरोधी पक्षनेता चुनाव में कोई अड़चन नहीं है लेकिन यह टाला जा रहा है।
बच्चू कड़ू का जरांगे न हो
बच्चू कड़ू के आंदोलन को शिवसेना यूबीटी का समर्थन है। वे हमारे पुराने सहयोगी है। जाधव ने सवाल किया कि छत्रपति शिवाजी महाराज का चरण स्पर्श कर मनोज जरांगे की मांगों को पूरा करने की शपथ ली गई लेकिन क्या हुआ। जरांगे आज भी लड़ रहे हैं। इसलिए कड़ू को लिखित आश्वासन देने के बाद उनका भी जरांगे न हो, यह अपेक्षा उन्होंने जताई।
मुंबई में 54 फीसदी वोट
जाधव ने दावा किया कि अगर उद्धव व राज ठाकरे एकजुट हो गये तो मुंबई में 54 फीसदी वोट मिलेगा। इस सर्वेक्षण से भाजपा घबरा गई है। यही कारण है कि वह दोनों भाइयों को एक नहीं होने देने के प्रयास में लग गई है। वैसे भी भाजपा का इतिहास फोड़ाफोड़ी कर राजनीतिक लाभ लेने का रहा है। दोनों ठाकरे बंधु एक हो गये तो मुंबई 3 गुजराती नेताओं के हाथ नहीं जा पाएगी, यह उन्हें अच्छी तरह मालूम है। स्थानीय निकाय चुनाव में अच्छी सफलता मिलेगी। जाधव ने कहा कि महायुति को भरपूर बहुमत मिलने के बाद भी वे एकसाथ लड़ रहे हैं। इसलिए मविआ को भी साथ मिलकर लड़ना चाहिए। इससे लाभ होगा। शिवसैनिक अवसर की तलाश में हैं। अवसर मिला तो करिश्मा कर दिखाएंगे।