परमिट रूम शुल्क (सौ. Navabharat )
Nagpur News: 10 सालों पहले मराठवाड़ा में दुष्काल आने के चलते तब की सरकार ने परमिट रूम पर 5 प्रतिशत सरचार्ज लगाया था जिसे बाद में वैट के रूप में रूपांतरित किया गया था। सरकार ने इसमें 5 प्रतिशत की वृद्धि कर इस वैट को 10 प्रतिशत कर दिया।
इस कारण कीमतों में असंतुलन बढ़ गया है और ग्राहक परमिट रूम से दूर हो रहे हैं और वे शराब की दुकानों से खरीदी कर रहे हैं और अवैध स्थानों जैसे ढाबों, चाइनीज स्टॉल, अंडे के ठेले, सावजी, सार्वजनिक पार्कों और अपनी गाड़ियां सड़क पर खड़ी करके शराब पी रहे हैं। इसके चलते कानून-व्यवस्था का मुद्दा जटिल होता जा रहा है.
अवैध जगहों पर भी अवैध रूप से सामान बेचा जा रहा है। इससे सरकार के राजस्व को नुकसान हो रहा है। इसके विरोध में नागपुर जिला रेस्टोरेंट परमिट रूम एसोसिएशन ने पूरे दिन नागपुर जिले के सभी परमिट रूम बंद रखे; साथ ही धरना और प्रदर्शन भी किया।
आंदोलनकारियों ने कहा कि समय-समय पर सरकार और प्रशासन से परमिट रूम पर लगाए गए 10 प्रतिशत वैट को हटाने या इसे उत्पादन के स्रोत पर लगाने का अनुरोध करते रहे हैं, ताकि सभी पर एक समान वैट कर लगे और सरकार का राजस्व भी बढ़े। सरकार को वैट एडवांस में मिलेगा. सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार कम होगा, सरकार का जनशक्ति व्यय कम होगा और पारदर्शी काम होगा। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिक्री मूल्य में समानता होने से सरकार का राजस्व बढ़ेगा।
इस वर्ष सरकार ने लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क में 15 प्रतिशत की वृद्धि की है जो कि शहर में 10,50,000 रुपये हो गई है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इससे परमिटधारक असहाय हो गए हैं। सरकार को लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क को राजस्व का स्रोत नहीं मानना चाहिए बल्कि इसे लाइसेंस सेवा शुल्क मानना चाहिए और हर साल बढ़ने वाले शुल्क पर लगाम लगानी चाहिए।
विदर्भ रेस्टोरेंट परमिट रूम एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव जायसवाल के अनुसार पहले से ही वैट और शुल्क में वृद्धि के कारण परमिट रूम पर तिहरा बोझ डाला गया है। अब परमिट रूमधारक परेशान व लाचार हो गए हैं। इसके कारण अवैध कारोबार बढ़ गए हैं, उपभोक्ता अवैध स्थानों पर सेवन कर रहे हैं। कानून-व्यवस्था चरमरा गई है. भारी मूल्य वृद्धि के कारण अन्य राज्यों से अवैध माल हमारे राज्य में आ रहा है।
इससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। सरकार को चाहिए कि जो लोग सरकारी राजस्व को चूना लगाकर अवैध रूप से काम करते हैं उनके लिए सख्त कानून बनाए, ताकि इसके कारण सरकार के वैध परमिट रूम बंद न हों, इसलिए सरकार को यह निर्णय तुरंत लेना चाहिए। इसके विरोध में महाराष्ट्र के सभी परमिट रूम बंद भी रहे। इसका समर्थन शराब और बीयर की दुकानों ने भी किया।
14 जुलाई को सभी परमिट रूम बंद रखकर संविधान चौक पर नारेबाजी भी की गई थी, साथ ही जिलाधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा गया था। 10 प्रतिशत वैट टैक्स और शुल्क से कीमतों में वृद्धि के कारण उपभोक्ता शराब की दुकानों से अवैध रूप से सामान खरीद रहे हैं और अवैध स्थानों पर उनका सेवन कर रहे हैं। इसके कारण हमारे रेस्टोरेंट में आने वाले ग्राहकों की संख्या में 75 प्रतिशत की कमी आई है। परिणामस्वरूप दिन के समय परमिट रूम की बिक्री भी कम हो गई है।
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अगर सरकार 25 अगस्त तक इस संबंध में बैठक/निर्णय नहीं लेती है तो हमें विदर्भ के सभी रेस्टोरेंट परमिट रूम अनिश्चितकाल के लिए बंद रखने का निर्णय लेना पड़ेगा। इस अवसर पर भागवत गाभने, किशोर घारड, नितिन मोहाड़, परविंदर सिंह भाटिया, अतुल पवनीकर, श्रीनिवास कोलावर, पंकज यादव सहित अन्य उपस्थित थे।