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उल्हासनगर : ठाणे जिले (Thane District) के लाखों लोगों की प्यास बुझाने वाली उल्हास नदी (Ulhas River) पर एक साल पहले जल कुंभी मुक्त अभियान शुरू किया गया था। एक साल बाद वर्तमान में ठाणे जिले की उल्हास नदी जल कुंभी मुक्त हो गई है। इस प्रयोग की चर्चा पूरे राज्य में हो रही है ऐसे में राज्य के नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह जल कुंभी मुक्ति अभियान और तरीका राज्य में अन्य जल कुंभी युक्त नदियों में लागू किया जाएगा।
मुंबई (Mumbai) की पवई झील (Powai Lake) और पुणे की मुला मुठा नदी के संरक्षण का मुद्दा स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने राज्य के बजट सत्र (Budget Session) में उठाया था। इस अवसर पर बोलते हुए शिंदे ने यह जानकारी दी। इसलिए उल्हासनदी का जल कुंभी मुक्त अभियान राज्य के लिए दिशा दर्शक के रूप में साबित हुई है।
करोड़ों रुपए के ठेके की घोषणा कर अत्याधुनिक मशीनरी से नदी घाटियों से जल कुंभी निकालने के प्रयोग विफल हो गए है, लेकिन इसी बीच ठाणे जिले की जीवन रेखा कहलाने वाली उल्हासनदी के जल कुंभी मुक्ति के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया गया। यह प्रयोग सगुना रूरल फाउंडेशन के माध्यम से आयोजित किया गया था। इस विधि में ग्लाइफोसेट का नियंत्रित तरीके से प्रयोग किया जाता है। इसका नमूना और परीक्षण सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं में किया गया।
यह स्पष्ट हो जाने के बाद कि मानव शरीर और जलीय, नदी पर निर्भर जीवों पर इसका कोई प्रभाव नहीं है। इसका उपयोग पूरी नदी के लिए किया गया। इस प्रयोग की निगरानी स्वयं जिला कलेक्टर राजेश नार्वेकर कर रहे थे। इस पद्धति के कारण मात्र कुछ लाख रुपए में नदी को जलपर्णी मुक्त किया गया था। इसलिए इस प्रयोग की चर्चा अब पूरे राज्य में चल रही है। अभी राज्य का बजट सत्र चल रहा है। पिछले हफ्ते मुंबई की पवई झील और पुणे की मुला और मुठा नदियों के संरक्षण का मुद्दा स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से उठाया गया था।
[blockquote content=”जलपर्णी मुक्ति अभियान सकारात्मक दिख रहा है. लेकिन नदी को और ज्यादा स्वच्छ रखने के लिए नदी से मिलने वाले शहर के विभिन्न नालों और औद्योगिक अपशिष्टों को रोका जाना चाहिए।” pic=”” name=” – शशिकांत दायमा, पर्यावरण प्रेमी, उल्हासनगर”]
इसका जवाब देते हुए राज्य के नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने सदन को बताया कि उल्हासनदी की मुक्ति का अभियान सफल रहा। उस समय जनप्रतिनिधियों ने पूछा कि राज्य में अन्य नदियों की समस्या का समाधान कैसे होगा। इस पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि उल्हासनदी की तर्ज पर यह प्रयोग राज्य की अन्य जल कुंभी युक्त नदियों पर भी लागू किया जाएगा। जिन जिन नगरपालिका और महानगरपालिका क्षेत्रों में बहने वाली नदियों में जल कुंभी समस्या बढ़ गई है। ऐसे नगर पालिका और महानगरपालिका के अधिकारियों को परियोजना को लागू करने वाले संगठन से मिलाया जाएगा। इसलिए उल्हासनदी की मुक्ति का यह पैटर्न राज्य के लिए बन गया है। जल कुंभी मुक्ति प्रयोग के बाद पिछले कुछ महीनों में उल्हासनदी में जलपर्णी नहीं देखी गई और पानी भी साफ है। ऐसी जानकारी उल्हासनदी बचाव कृति समिति के सदस्य और वरप गांव के एक ग्रामीण अश्विन भोइर ने दी। विश्व जल दिवस पर नदी किनारे के विभिन्न गांवों के ग्रामीणों ने नदी की सफाई पर संतोष जताया है।