नवी मुंबई: डॉ. जवाहरलाल इसरानी (Dr. Jawaharlal Israni) को बचपन से डाक टिकट जमा (Postage Stamps) करने का शौक था। इसी शौक के कारण डॉ. जवाहरलाल इसरानी को विश्व स्तर के कई सम्मान मिले और उनका नाम लिम्का बुक ऑफ द रिकार्ड (Limca Book of Records) में शामिल किया गया। डॉ. इसरानी के पास विश्व भर के 52 हजार डाक टिकटों का संग्रह है। वे इन डाक टिकटों की प्रदर्शनी देश के कई राज्यों में लगा चुके हैं। मूलतः दिल्ली के रहने वाले डॉ. जवाहरलाल इसरानी का जन्म 22 अगस्त 1943 को लरकाना सिंध प्रान्त में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। डॉ. इसरानी पिछले कुछ समय से नवी मुंबई (Navi Mumbai) के उल्वे में अपने परिवार के साथ रह रहें है।
डॉ. इसरानी ने कहा कि उन्हें यह शौक तब से है जब वे कक्षा पांच में पढ़ते थे। उनके इस शौक को आगे बढ़ाने में उनके स्कूल के शिक्षक और उनके माता-पिता इसके लिए प्रोत्साहित भी करते थे। वर्ष 2020 में डॉ. जवाहर इसरानी को WAC बुक ऑफ़ रिकॉर्ड द्वारा अधिकतम डाक टिकट संग्रह करने के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। डॉ. जवाहर ने केवल फूलों की थीम पर विश्व भर में अलग-अलग देशों द्वारा जारी किए गए 2031 डाक टिकटों को जमा करके अपने पास रखा हुआ हैं। इनके पास 240 देशों के 52 हजार डाक टिकटों का संग्रह हैं।
डॉ. इसरानी ने कहा कि उनके शिक्षकों का मानना था कि किसी भी बच्चे को कम से काम एक शौक रखना चाहिए। डॉ. इसरानी ने इन डॉक टिकटों को सहेज कर रखा है साथ ही किसी के भी बुलावे पर वे अपने डाक टिकट के संग्रह की प्रदर्शनी भी लगाते हैं वे बच्चों को डाक टिकट के बारे में विस्तार के साथ पूरी जानकारी भी देते हैं।
डॉ. इसरानी ने बताया कि उन्होंने अभी तक 450 स्कूलों के अलावा, निजी और सरकारी कार्यालयों में प्रदर्शित कर चुके हैं। उनका कहना है कि वे डाक टिकटों की प्रदर्शनी पूरी तरह से फ्री में लगाते हैं। जिन डाक टिकटों का संग्रह किया गया है उसमें पक्षी, कुत्ते, बिल्ली, झंडे, ऐतिहासिक इमारत, पेड़, पौधे, नेता, स्वतंत्रता सेनानियों पर जारी किये गए डाक टिकट शामिल हैं। डॉ इसरानी का कहना है इस तरह की प्रदर्शनी देखने के बाद बच्चों में किसी भी अन्य वस्तु को संग्रह करने की प्रेरणा मिलती है। उनका मानना है कि प्रत्येक डाक टिकट का अपना एक इतिहास होता है इसे सिर्फ एक कागज का टुकड़ा मानकर नहीं चलना चाहिए।
इस समय डॉ. इसरानी की उम्र भले ही 80 वर्ष हो गयी हो, लेकिन उनके भीतर डाक टिकटों को संग्रह करने का जज्बा आज भी जवान है। आज भी उनके भीतर वही जोश और जूनून दिखाई देता है। डॉ इसरानी को अभी तक इस संग्रह के लिए पांच वर्ल्ड रिकार्ड , गोल्डन बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड , इंडिया बुक रिकार्ड के साथ-साथ लन्दन और यूनाइटेड ऑफ किंगडम में भी सम्मानित किया जा चुका हैं। फ़िलहाल इस समय वे यातायात नियमों का पालन करने, बिजली, पानी बचाने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के काम में लगे हुए हैं।