सिडको में रिश्वतखोरी (pic credit; social media)
Bribery in CIDCO: हजारों करोड़ की जमीन और एयरपोर्ट-मेट्रो जैसी बड़ी विकास परियोजनाओं से हमेशा सुर्खियों में रहने वाला सिडको इन दिनों रिश्वतखोरी के कारण विवादों में घिर गया है। आम नागरिकों, बिल्डरों और खरीदारों से जुड़े कामकाज देखने वाले इस महत्वपूर्ण विभाग पर भ्रष्टाचार का काला साया गहराता जा रहा है।
ताजा मामले में बुधवार देर रात एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने वाशी स्थित संयुक्त पंजीयक कार्यालय के तीन कर्मचारियों और एक दलाल को 3.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। आरोप है कि एक पुरानी इमारत के पुनर्निर्माण की अनुमति के लिए कुल 5 लाख रुपये की मांग की गई थी। जैसे ही रकम का कुछ हिस्सा लिया गया, एसीबी की टीम ने छापा मारकर चारों को गिरफ्तार कर लिया।
यह पहला मौका नहीं है जब सिडको के किसी कार्यालय में रिश्वत का मामला सामने आया हो। इससे पहले भी कई शिकायतें हुई थीं, लेकिन कड़ी कार्रवाई न होने से भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद रहे। हालांकि, हाल ही में ठाणे एसीबी विभाग की कमान संभालने वाले अधीक्षक शिवराज पाटिल के आने के बाद अब लगातार छापे मारे जा रहे हैं। चर्चा है कि सिडको के अलग-अलग विभागों पर अब एसीबी की पैनी नजर है।
इसे भी पढ़ें- नवी मुंबई में सिडको के अधिकारी को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा
सिर्फ संयुक्त पंजीयक ही नहीं बल्कि भूमि अभिलेख विभाग और पुनर्विकास से जुड़े मामलों में भी बड़े पैमाने पर घोटालों की शिकायतें मिल रही हैं। किसानों का आरोप है कि जमीन का सीमांकन कराने के लिए सरकारी शुल्क भरने के बावजूद उनसे लाखों रुपये रिश्वत मांगी जा रही है। कुछ किसानों ने तो खुलकर बताया कि अधिकारी खुलेआम “रेट कार्ड” बताकर पैसों की मांग कर रहे थे।
इतना ही नहीं, श्रमिक संघ के अध्यक्ष तक पर रिश्वत लेने का आरोप लग चुका है। हाल ही में नेरुल क्षेत्रीय कार्यालय की महिला अधिकारी और एक ठेका कर्मचारी को भी 30 हजार रुपये की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया गया था।
पिछले 9 माह में कुल 8 कर्मचारी और अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों में एसीबी के शिकंजे में आ चुके हैं। यह आंकड़ा साफ दर्शाता है कि सिडको में रिश्वतखोरी किस हद तक फैल चुकी है। सवाल उठता है कि जिस संस्था पर शहर के विकास की जिम्मेदारी है, अगर वहीं भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाए तो आम नागरिकों का भरोसा कैसे कायम रहेगा।