(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
मुंबई : देश में दवा प्रतिरोधी एमडीआर और एक्सडीआर टीबी रोगियों के बेहतर इलाज के लिए बीपीएएल का कॉम्बो पैक पेश किया जा रहा है। इस संबंध में हाल ही में एक क्लिनिकल परीक्षण अध्ययन प्रकाशित किया गया था। अध्ययन के मुताबिक टीबी के मरीजों के लिए इलाज की अवधि कम होने वाली है। अब 20 माह की जगह 6 माह ही इलाज संभव हो सकेगा। चिकित्सा विशेषज्ञ फिलहाल मुंबई के इन टीबी रोगियों के लिए बीपीएएल खुराक शुरू करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
भारत ने अगस्त 2021 में बीएमसी द्वारा संचालित शताब्दी अस्पताल में बीपीएएल परीक्षण किया। प्री-एक्सडीआर या एमडीआरटीआई फेफड़े के क्षयरोग वाले वयस्कों को परीक्षण में शामिल किया गया था।
बीपीएएल तीन दवाओं का एक संयोजन है। इसमें बेडाक्विलिन, प्रीटोमेनिड और लाइनज़ोलिड को मिला कर दवा बनाई गई है। इसका इलाज 20 महीने की बजाय 6 महीने का है। मरीजों को यह दवा कैसे और कब दी जाए, इस पर फिलहाल बहस चल रही है। इस संबंध में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए मुंबई में 200 से अधिक डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। देश के अन्य शहरों की तुलना में मुंबई में टीबी के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है, इसलिए इसकी शुरुआत मुंबई से की जा सकती है। सितंबर माह के अंत तक यह प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा। मुंबई में बीपीएएल परीक्षण का नेतृत्व कर रहे डॉ. विवेक ओसवाल ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो अक्टूबर में टीबी रोगियों को वास्तव में बीपीएएल (बिपल) की कम खुराक दी जा सकती है।
ट्रायल स्टडी के मुताबिक, ट्रायल का पूरा अध्ययन मेडिकल जर्नल क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित किया गया है। तद्नुसार, 403 रोगियों को उनकी लाइनज़ोलिड दवा की खुराक और अवधि के आधार पर विभिन्न समूहों में विभाजित किया गया था। एक समूह को 26 सप्ताह के लिए बेडाक्विलिन, प्रीटोमैनाइड और 600 मिलीग्राम लाइनज़ोलिड दिया गया। दूसरे समूह को 9 सप्ताह के लिए 600 मिलीग्राम लाइनज़ोलिड और 17 सप्ताह के लिए 300 मिलीग्राम दिया गया। तीसरे समूह में रोगियों को 13 सप्ताह के लिए 600 मिलीग्राम दवा दी गई, इसके बाद 13 सप्ताह के लिए 300 मिलीग्राम दवा दी गई।
अध्ययन में शामिल 352 मरीजों पर अच्छे नतीजे सामने आए। इस बीच भारत सरकार द्वारा अनुमोदन से पहले तीन साल के परीक्षण में पाया गया कि 600 मिलीग्राम दवा से भारतीय रोगियों में बेहतर लाभ हुआ। बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बिपल को मुंबई में लागू करने के निर्देश दिए हैं। प्रीटोमेनिड की खुराक मिलने पर तुरंत मरीजों को दी जाएगी। इस संबंध में केंद्र सरकार से बातचीत चल रही है।
क्लिनिकल परीक्षण में दवा प्रतिरोधी टीबी के 403 रोगियों को शामिल किया गया था। उनमें से 352 ठीक हो गए। हालांकि, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज की जटिलता के कारण एक मरीज की मृत्यु हो गई। उपचार के बाद अनुवर्ती अवधि के दौरान 19 गंभीर प्रतिकूल घटनाएं सामने आई। 12 महीने के फॉलो-अप में 280 रोगियों में टीबी विकसित नहीं हुई। 11 मरीजों में टीबी दोबारा हो गई और 60 मरीजों का फॉलोअप किया जा रहा है।