सोलापुरकरों के लिए ऐतिहासिक क्षण। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
सोलापुर: 14 साल और 10 महीने का लंबा इंतजार खत्म हो गया है। सोलापुर के होटगी रोड एयरपोर्ट से कल यानी सोमवार 9 जून 2025 से एक बार फिर यात्री उड़ान सेवाएं शुरू हो रही हैं। दरअसल, सितंबर 1948 में मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम के दौरान हैदराबाद के निजाम को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय सेना ने होटगी रोड पर एयरपोर्ट का निर्माण किया था। उसके बाद जीर्ण-शीर्ण हो चुके इस एयरपोर्ट का 37 साल बाद यानी 1984 में पुनर्निर्माण किया गया था। जिसे अगले 25 सालों तक कुछ नहीं हुआ।
फरवरी 2009 में, 4 दिवसीय साप्ताहिक सोलापुर-मुंबई यात्री उड़ान सेवा शुरू की गई, लेकिन यह अल्पकालिक साबित हुई। अगस्त 2010 में यह सेवा बंद कर दी गई। इन 18 महीनों में, घरेलू पर्यटकों के अलावा 1358 विदेशी पर्यटक सोलापुर आए। सोलापुर में नेताओं के विमान आते-जाते रहे। कई छोटे-छोटे पड़ोसी शहरों के लिए हवाई सेवा शुरू की गई। लेकिन, सोलापुरकरों की लगातार उपेक्षा की गई। इससे सोलापुर के लोग नाराज़ रहे। दूसरी तरफ, पिछले 2 दशकों में सोलापुर की कायापलट हो गया है।
सोलापुर जिले से गुजरने वाले सभी राजमार्ग मल्टीलेन बन गए। तुलजापुर, पंढरपुर, अक्कलकोट या श्रद्धा केंद्रों को जोड़ने वाली सड़कें अविश्वसनीय रूप से बदल गईं। राजमार्गों के डिवाइडर पर सुंदर सजावटी पेड़ और लताएँ लहराने लगीं। राजमार्गों के दोनों ओर देशी पेड़ लगाए गए। रेलवे लाइन को दोगुना किया गया। स्टेशन का विस्तार किया गया। कई सुधार किए गए। सड़कें, जो कभी अपनी सफाई के लिए जानी जाती थीं, धीरे-धीरे बायो-टॉयलेट की बदौलत साफ हो गईं। संचार में इस प्रगति के साथ-साथ सोलापुर ने कई क्षेत्रों में क्रांति ला दी।
सोलापुर को स्मार्ट सिटी जैसी महत्वाकांक्षी योजना में शामिल किया गया। कई ऐसी चीजें सच हुईं, जिनकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। कृषि उत्पादन और बाजार में सोलापुर ने छलांग लगाई। प्याज के बाजार में सोलापुर ने देश में कीर्तिमान स्थापित किया। केला, अनार, किशमिश, गन्ना उत्पादन में इसने झंडे गाड़ दिए। गारमेंट सेक्टर हो या शिक्षा, मेडिकल सेक्टर हो या कंस्ट्रक्शन, सोलापुर पीछे नहीं रहा। प्रगति के इस राजमार्ग में एक ही बाधा थी – हवाई संपर्क की कमी, अब वह दूर हो रही है, जो एक अच्छा संकेत ही कहा जाना चाहिए।
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एक तरह से यह कहना होगा कि यात्री विमान सेवाओं में देरी गलती थी। क्योंकि कम से कम इस मौके पर सोलापुरकरों ने एक दिशा में सोचना शुरू किया। हम विकास के मुद्दे पर आगे आए। यह भी साबित हुआ है कि नीति निर्माता लंबे समय तक आम आदमी की आकांक्षाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते। यह सच है कि लोगों को वही राजनेता मिलते हैं जिनके वे हकदार होते हैं। बड़ा सोचना और अपनी योग्यता में निरंतर सुधार करना ही सफलता की कुंजी है, अगर इस विचार को अपनाएंगे तो कल की सुबह हम सभी के लिए शुभ होगी।