हैक द क्लासरूम प्रोजेक्ट (सौजन्य-सोशल मीडिया, कंसेप्ट फोटो)
सोलापुर: इस वर्ष परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करने और अंतिम परिणाम तैयार करने के लिए शिक्षकों के पास पर्याप्त समय नहीं था। इसलिए उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए एआई का उपयोग करने का एक प्रयोग किया गया। छोटे समूह पर किए गए इस प्रयोग के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। इस से यह एआई मॉडल और अधिक सक्षम बनाने में मदद मिलेगी, ऐसा विश्वास रणजीतसिंह डिसले ने व्यक्त किया।
सोलापुर जिले की 12 जिला परिषद स्कूलों के 225 छात्रों की वार्षिक परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से जांच कर अंतिम परिणाम घोषित करने का एक शोध प्रोजेक्ट हाल ही में पूरा किया गया। इस प्रयोग में 225 छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं संबंधित कक्षा के शिक्षकों और एआई दोनों तरीकों से जांची गईं। एआई के माध्यम से जांची गई उत्तर पुस्तिकाओं में 12 प्रतिशत छात्रों के अंकों में बदलाव देखने को मिला। ये बदलाव संबंधित शिक्षकों द्वारा की गई जांच के अनुरूप और सटीक पाए गए।
ग्लोबल टीचर पुरस्कार विजेता शिक्षक रणजीतसिंह डिसले ने सोलापुर जिला परिषद की स्कूलों के छात्रों की प्रश्नपत्रिकाएं जांचने के लिए ‘हैक द क्लासरूम’ नामक एआई मॉडल गूगल जेमिनि की मदद से तैयार किया है। यह मॉडल मराठी भाषा में प्रश्नपत्रिकाएं तैयार करने और उनकी जांच करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। इस कार्य के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय की इनोवेशन लैब का विशेष सहयोग मिला है।
25 से 30 अप्रैल की अवधि में इस एआई मॉडल की प्राथमिक परीक्षण किया गया। लगभग 20 अंकों की एक उत्तर पुस्तिका जांचने में शिक्षकों को औसतन 1 मिनट 42 सेकंड का समय लगा, जबकि 50 अंकों की उत्तर पुस्तिका जांचने में 5 मिनट 27 सेकंड लगे। वहीं, एआई ने यही कार्य मात्र 32 सेकंड में पूरा कर लिया।
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एआई द्वारा जांची गई उत्तर पुस्तिकाओं की सटीकता 95 प्रतिशत दर्ज की गई। वहीं, 5 प्रतिशत छात्रों की लिखावट पहचानने में एआई मॉडल असफल रहा। उत्तर पुस्तिकाएं जांचते समय यह भी पाया गया कि 2 प्रतिशत प्रश्न गलत थे, जिसे एआई ने पहचाना। उत्तर पुस्तिकाएं जांचने के बाद मिले अंकों के आधार पर संबंधित छात्रों को कौशल वृद्धि के लिए छह सप्ताह का लर्निंग प्लान भी इस एआई मॉडल ने तैयार किया है, जिसकी क्रियान्विति 1 मई से 10 जून के बीच की जाएगी, ऐसा डिसले ने बताया। इस कारण अब राज्य की अन्य शालाओं में भी इस पद्धति के उपयोग को लेकर उत्सुकता देखी जा रही है।