युवा हार्ट पेशेंट (pic credit; social media)
Mumbai Youth Heart Patient: महाराष्ट्र में दिल की बीमारियों का खतरा अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहा है। अब 30 से 40 साल के युवा भी हृदय रोग की चपेट में आने लगे हैं। लंबे समय तक बैठे रहना, तैलीय और नमकीन भोजन, बढ़ता तनाव और अनियमित जीवनशैली इस स्थिति को और गंभीर बना रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि कई परिवारों में सीने में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ या लगातार थकान जैसे शुरुआती लक्षण नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। खासकर महिलाएं इन लक्षणों को गैस, थकान या सामान्य तनाव समझकर नजरअंदाज करती हैं। परिणामस्वरूप बीमारी देर से पकड़ी जाती है और जटिलताएं बढ़ जाती हैं।
सिंबायोसिस हॉस्पिटल, मुंबई के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकुर फतरपेकर ने कहा कि ज्यादातर लोग मानते हैं कि दिल का दौरा अचानक पड़ता है, जबकि असलियत यह है कि यह सालों से जमा हुई गलत आदतों का परिणाम होता है। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, तंबाकू का सेवन और अनुचित खानपान लगातार दिल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि हृदय रोग से बचाव का असली तरीका है रोकथाम। ताजी सब्जियां और फल, कम नमक और तैलीय भोजन, रोजाना 30 से 60 मिनट की सैर या व्यायाम, पर्याप्त पानी पीना और नियमित स्वास्थ्य जांच से दिल को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।
वहीं, 40 से 60 साल की महिलाओं में रजोनिवृत्ति और जीवनशैली के बदलाव दिल की बीमारी के खतरे को और बढ़ा रहे हैं। रोजमर्रा की गलत आदतें जैसे अधूरी नींद, स्ट्रेस और अनियमित खानपान भी इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं।
डॉ. फतरपेकर ने चेतावनी दी कि कई मरीज कुछ दिन दवा लेने के बाद लक्षण कम होते ही इलाज बीच में छोड़ देते हैं। यह लापरवाही अगले हार्ट अटैक या स्ट्रोक के खतरे को और बढ़ा देती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि परिवारों के स्तर पर जीवनशैली में बदलाव और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता ही इस बढ़ते खतरे को कम कर सकती है। अब महाराष्ट्र में दिल की बीमारी अपवाद नहीं बल्कि आम होती जा रही है, और युवाओं में इसकी बढ़ती संख्या सतर्क करने वाली है।