अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे
नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य करने के फैसले को रद्द कर दिया है। यह कदम तब उठाया गया जब शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और राज ठाकरे की पार्टी ने इस निर्णय के खिलाफ बड़ा विरोध करने का ऐलान किया था। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री शिंदे के बीच रातोंरात इस मुद्दे पर चर्चा के बाद सरकार ने तुरंत यह कदम उठाया। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस मामले में एक समिति बनाई जाएगी, जो रिपोर्ट देने के बाद आगे का मार्गदर्शन करेगी और त्रिभाषा फॉर्मूला लागू किया जाएगा।
रविवार को राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक के बाद, सरकार ने त्रिभाषा फॉर्मूला के तहत हिंदी को अनिवार्य बनाने के दोनों जीआर (गवर्नमेंट रिजोल्यूशन) को रद्द करने का फैसला किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की जानकारी दी।
राजनीतिक हलकों में चर्चा थी कि आगामी चुनावों में मनसे और ठाकरे गुट एकजुट हो सकते हैं। इससे पहले 5 जुलाई को दोनों पक्षों ने हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले के विरोध में संयुक्त मोर्चा निकालने की योजना बनाई थी। इस संदर्भ में, राज्य सरकार ने हिंदी अनिवार्यता के फैसले को जल्दी रद्द करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच 28 जून की रात इस विषय पर चर्चा की गई, जिसके बाद यह फैसला लिया गया।
कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने घोषणा की कि त्रिभाषा फॉर्मूला के तहत हिंदी को किस कक्षा से लागू किया जाए, यह निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार डॉ. नरेंद्र जाधव के नेतृत्व में एक समिति बनाएगी। डॉ. जाधव एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् हैं, जो पहले विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं और योजना आयोग के सदस्य भी रहे हैं। समिति के अन्य सदस्य भी जल्द ही घोषित किए जाएंगे।
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मुख्यमंत्री ने बताया कि समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही त्रिभाषा फॉर्मूला लागू किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, 16 अप्रैल 2025 और 17 जून 2025 के दोनों सरकारी निर्णयों को रद्द करने का निर्णय लिया गया है।