त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर (pic credit; social media)
Sawan Somwar 2025: संपूर्ण महाराष्ट्र सहित देश भर के शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले श्रावण महीने के पहले सोमवार की शुरुआत आज यानी की ( 28 जुलाई) से शुरु हो गई है। नासिक जिले में स्थित पवित्र त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में इस अवसर पर भक्तों का भारी जनसैलाब उमड़ पड़ा। ब्रह्मगिरी पर्वत की गोद में बसे इस प्राचीन मंदिर में भोर से ही हर हर महादेव के जयघोष से वातावरण गूंज उठा।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से आए भक्तों की लंबी कतारें कई दिनों पहले से ही लगने लगी थीं। जिनमें दर्शन के लिए रोज कई घंटों का समय लग रहा है। श्रावण के पहले ही सोमवार को त्र्यंबकेश्वर में बने इस भक्तिमय वातावरण ने पूरे परिसर को ऊर्जा से भर दिया।
त्र्यंबकेश्वर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। श्रावण के हर सोमवार को यह भक्तों से खचाखच भर जाता है। खासकर पहले सोमवार को भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है, जिससे दर्शन के लिए 3-4 घंटे या उससे भी अधिक का समय लग सकता है। भक्त भोर से ही मंदिर के बाहर कतारों में खड़े हो जाते हैं।
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भीड़ को नियंत्रित करने और भक्तों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए मंदिर प्रशासन और पुलिस द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं। इसमें भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन, पार्किंग व्यवस्था और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
कई भक्त त्र्यंबकेश्वर मंदिर में दर्शन करने से पहले ब्रह्मगिरी पर्वत की परिक्रमा (फेरी) करते हैं। यह एक प्राचीन प्रथा है जिसके बारे में माना जाता है कि इससे पुण्य मिलता है और मन को शांति मिलती है। कई श्रद्धालु रविवार शाम से ही परिक्रमा शुरू कर देते हैं, और परिक्रमा पूरी करने के बाद सुबह दर्शन करते हैं।
मंदिरों में सुबह से ही विभिन्न महापूजाएं, रुद्राभिषेक और आरती का आयोजन किया जाता है। भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि चढ़ाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हर हर महादेव, जय भोलेनाथ के जयघोष से पूरा त्र्यंबकेश्वर परिसर गूंज उठता है, जिससे एक अत्यंत भक्तिमय और ऊर्जावान वातावरण बनता है।
नासिक शहर के अन्य प्रमुख शिव मंदिर, जैसे कपालेश्वर महादेव मंदिर और सोमेश्वर महादेव मंदिर में भी श्रावण के पहले सोमवार को भारी भीड़ देखी जाती है।
यह नाशिक के पंचवटी इलाके में गोदावरी तट पर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान शिव के सामने नंदी नहीं हैं। श्रावण के सोमवार को यहां भी बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। विशेष रूप से, कपालेश्वर मंदिर में पंचमुखी मुखौटा दर्शन का आयोजन भी किया जाता है, जिसकी 133 वर्षों की परंपरा है। इस मुखौटे को पालकी में सजाकर शोभायात्रा निकाली जाती है, जो विभिन्न मार्गों से होते हुए रामकुंड पहुंचती है, जहां अभिषेक किया जाता है।
गंगापुर रोड पर स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर में भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। नासिक में शिवालयों को श्रावण सोमवार के अवसर पर आकर्षक रोशनी और फूलों से सजाया जाता है। दिन भर महापूजा, रुद्राभिषेक और महाप्रसाद जैसे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। संक्षेप में, श्रावण का पहला सोमवार नाशिक और त्र्यंबकेश्वर में शिव भक्तों के लिए एक बड़ा उत्सव होता है, जिसमें मंदिरों में भारी भीड़, विशेष पूजा-अर्चना और भक्तिमय माहौल देखने को मिलता है।