(कॉन्सेप्ट फोटो)
मुंबई: महाराष्ट्र में अधिभोगी (भोगवटादार) वर्ग 2 के रूप में भूमि रखने वाले किसान अब भूमि पर बंधक ऋण (mortgage loan) प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उन्हें बैंकों से ऋण प्राप्त करने में होने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलेगी। राजस्व विभाग ने इस संबंध में एक परिपत्र जारी किया। सातारा में जिला केंद्रीय बैंक के अधिकारियों ने 11 मार्च को अधिभोगी वर्ग 2 की भूमि के संबंध में एक बैठक की और इस मुद्दे को राजस्व विभाग के संज्ञान में लाया।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इस निर्णय को सिर्फ एक बैंक तक सीमित न रखते हुए, राज्य के सभी अधिभोगी वर्ग 2 खाताधारकों की कठिनाइयों पर विचार करते हुए निर्णय लिया कि वे बैंक के साथ अपनी अधिभोगी वर्ग 2 भूमि पर बंधक ले सकेंगे।
इस संबंध में पहले 1990 में एक परिपत्र जारी किया गया था। अब राजस्व विभाग की ओर से इसकी अधिसूचना जारी की गई है। जिला बैंक किसानों के लाभ के लिए किसानों को ऋण उपलब्ध कराते हैं। हालांकि, किसान ऋण चुकाने में असमर्थ होता तो बैंक मुसीबत में पड़ जाता है।
अधिभोग वर्ग-2 से तात्पर्य ऐसी भूमि से है, जिसे बेचने का अधिकार खाताधारक को नहीं है। अधिभोगी वर्ग-2 (काश्तकारी प्रणाली) में भूमि को सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। इन भूमियों को नियंत्रित शक्ति प्रकार या निर्बंधित शक्ति प्रकार या प्रतिबंधित शक्ति प्रकार भी कहा जाता है।
ऐसे मामले में बैंकों ने तर्क दिया कि भले ही बैंक द्वारा उनसे बंधक रखी गई भूमि अधिभोग श्रेणी 2 की हो फिर भी उस पर ऋण नहीं लगाया जा सकता। इसलिए, वर्ग 2 के अधिभोगी की भूमि बैंक द्वारा गिरवी नहीं रखी जा रही थी।
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इसके अलावा किसानों को ऋण भी नहीं मिल रहा था। अब जिला बैंकों के साथ-साथ राष्ट्रीयकृत बैंक भी इन जमीनों को जमानत के तौर पर ले सकेंगे। इस संबंध में राज्य के सभी संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को अनुस्मारक भेजा गया है।
बंधक ऋण (Mortgage Loan) वह लोन होता है जो किसी संपत्ति को गिरवी रखकर प्राप्त किया जाता है। जब कोई व्यक्ति बैंक या वित्तीय संस्था से बंधक ऋण लेता है, तो वह ऋण प्राप्त करने के बदले अपनी संपत्ति जैसे घर या जमीन को गिरवी रखता है। यदि वह ऋण की शर्तों के अनुसार समय पर किस्तें चुकता नहीं करता है, तो ऋणदाता को अधिकार होता है कि वह उस संपत्ति को बेचकर अपना बकाया ऋण वसूल कर सके।