मीरा-भाईंदर मनपा (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mira Bhayandar Municipal Corporation News: ठाणे जिले की मीरा-भाईंदर महानगरपालिका (MBMC) प्रशासन पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा भेजे गए भ्रष्टाचार जांच प्रस्तावों को जानबूझकर फाइलों में दबाकर रखा। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत सामने आए दस्तावेजों से खुलासा हुआ था कि नगरविकास विभाग के माध्यम से ACB ने MBMC से 27 अधिकारियों की जांच की अनुमति मांगी थी।
27 में से 5 प्रस्तावों को सीधे खारिज कर दिया गया, जबकि 22 मामलों को तीन साल तक पेंडिंग रखा गया। इस संबंध में 14 नवंबर 2023 को ‘नवभारत’ के ‘मुंबई प्लस’ संस्करण में प्रमुखता से खबर प्रकाशित की गई थी।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17(ए) और केंद्र सरकार के 3 सितंबर 2021 के आदेश के अनुसार किसी भी विभाग को ACB के प्रस्तावों पर 90 दिनों के भीतर निर्णय देना आवश्यक है। इसके बावजूद MBMC प्रशासन ने कई प्रस्तावों को 1000 से 1500 दिनों तक रोके रखा।
इससे संबंधित अधिकारी जांच से बचते रहे। जानकारों के मुताबिक यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की साजिश भी प्रतीत होती है।
RTI कार्यकर्ता कृष्णा गुप्ता ने सितंबर 2023 से लगातार इस मामले का फॉलोअप किया। उन्होंने मनपा आयुक्त, राज्य सरकार और अन्य विभागों को 63 से अधिक लिखित रिमाइंडर और आवेदन भेजे।
यह भी पढ़ें:- महिला सशक्तिकरण पर बड़ा मंथन! महाराष्ट्र ने मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य के लिए केंद्र से मांगी मदद
गुप्ता ने तत्कालीन आयुक्त संजय श्रीपतराव काटकर से आस्थापन विभाग प्रमुख सुनील यादव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी मांग की थी, लेकिन उस पर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था।
लगातार दबाव के बाद मीरा-भाईंदर महानगरपालिका आयुक्त एवं प्रशासक राधाविनोद शर्मा ने जांच पूरी कर 13 अधिकारियों को लिखित चेतावनी जारी की। इनमें कई वरिष्ठ अधिकारी, अभियंता और लिपिक शामिल हैं। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने मनपा की इस कार्रवाई को न्याय का मजाक बताया है।
लोगों का कहना है कि इतनी गंभीर लापरवाही के बाद केवल लिखित चेतावनी देना पर्याप्त नहीं है। ऐसे मामलों में विभागीय दंड या निलंबन होना चाहिए था। राज्य सरकार से इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।