कोंकण की जमीन (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Ratnagiri News: रत्नागिरी जिले के चिपलून तालुका के मोरवाने गांव ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। ग्राम सभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया है कि गांव की जमीन प्रवासियों को नहीं बेची जाएगी। यदि पैसे की जरूरत है और जमीन बेचनी है, तो सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि जमीन गांव के व्यक्ति को ही बेची जाए।
कोंकण रेलवे की वजह से कोंकण का तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ कोंकण क्षेत्र में दूसरे राज्यों के लोगों का अतिक्रमण भी बढ़ा है। प्रवासी श्रमिकों और मछुआरों की घुसपैठ के कारण कोंकण में विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। वर्ष 2016 में कोंकण में एक रिफाइनरी प्रस्तावित की गई थी।
रत्नागिरी के बारसू और नानार में इसका कड़ा विरोध हुआ। कोंकण में जमीन बहुत महंगी हो गई है। कई प्रवासियों और धनी लोगों ने यहां जमीन खरीदी है। इस पृष्ठभूमि में कोंकण के मोरवाने गांव के लोगों ने बाहरी लोगों को जमीन नहीं बेचने का निर्णय लिया है।
बताया जा रहा है कि कोंकण रेलवे के शुभारंभ के बाद से क्षेत्र में प्रवासी श्रमिकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। जिसके कारण, स्थानीय व्यवसायियों पर दबाव पड़ रहा है। प्रवासियों ने मछली बेचने से लेकर खेत मजदूरी, घरेलू काम, पेंटिंग, बढ़ईगीरी और निर्माण क्षेत्रों में पैठ बना ली है। इससे स्थानीय लोगों के पारंपरिक व्यवसाय भी प्रभावित हुए हैं। पर्यटन और आगामी परियोजनाओं में तेजी के कारण, कई अमीर लोग और कंपनियां स्थानीय लोगों की जमीन लेकर कोंकण में निवेश कर रही हैं।
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दूसरी ओर, कोंकण रेलवे के शुभारंभ के बाद से प्रवासी श्रमिकों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके कारण, स्थानीय व्यवसायियों पर दबाव पड़ रहा है। कुछ स्थानों पर प्रवासी लोग अपने त्योहार मनाते हैं। इसे स्थानीय लोग अपनी संस्कृति पर भी हमला मानते हैं। कुल मिलाकर, प्रवासियों के बढ़ते दबाव को रोकने के लिए मोरवाने गांव ने दूसरे राज्य के लोगों को जमीन नहीं बेचने का निर्णय लिया है। उनके इस कदम को अन्य गांवों के लोग भी प्रेरणादायक बता रहे हैं।