रायगढ़ में संजय गायकवाड (सौजन्य-एक्स)
रायगढ़: राज्य सरकार एक ओर ‘लाडली बहन योजना’ के लिए धन एकत्र करने में मशक्कत कर रही है, वहीं दूसरी ओर अब सरकार के ही विधायक इस योजना के खिलाफ खड़े होते नजर आ रहे हैं। शिंदे की शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड ने रायगढ़ में कहा कि करोड़ों रुपये जनता पर लुटाने के बजाय वह पैसा किलों के संरक्षण पर खर्च किया जाए।
विधायक गायकवाड ने कहा कि लाडकी बहिन योजना के तहत जिस तरह से सवा लाख करोड़ रुपये देने की योजना है, उसी तरह का बजट देकर छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों का भी संरक्षण और संवर्धन किया जाना चाहिए। वह 352वें शिवराज्याभिषेक समारोह के साक्षी बनने रायगढ़ पहुंचे थे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की भक्ति और कीर्ति आज भी लोगों के मन में उमड़ती है। उनकी कीर्ति पूरी दुनिया में फैली हुई है। रायरी का पहाड़ उन्होंने रायगढ़ किले के लिए चुना था, जिस पर 350 इमारतों वाला किला बहुत कम समय में बनाया गया। अगर छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज और छत्रपति राजाराम महाराज को लंबा जीवन मिला होता, तो देश में निजाम, मुगल, पुर्तगाली या कुतुबशाही शासक कोई भी नहीं बचे होते।
श्रीक्षेत्र रायगड येथे ३५२ व्या शिवराज्याभिषेक दिनानिमित्त उपस्थित राहिलो. बुलढाणा जिल्ह्याच्यावतीने पालखीला खांदा दिला आणि छत्रपती शिवरायांच्या प्रतिमेला त्रिवार मानाचा मुजरा केला. युवराज संभाजीराजे यांचीही भेट घेतली.#शिवराज्याभिषेक #छत्रपती_शिवाजी_महाराज #रायगड #संजय_गायकवाड pic.twitter.com/mdM7zLJN8E — Sanjay Gaikwad – संजय गायकवाड (@sanjaygaikwad34) June 6, 2025
मराठों ने पराक्रम दिखाकर 1750 तक भारतभूमि को मुगल मुक्त कर दिया था। किले पर आने वाले युवाओं को विधायक गायकवाड ने सलाह दी कि सच्चे शिवभक्तों को अनुशासन समझाने की जरूरत नहीं होती, लेकिन जो युवक प्रेमिका का नाम लिखते हैं या अन्य तरह से किले का अपमान करते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। किलों के रखरखाव और मरम्मत को लेकर गायकवाड ने कहा कि किलों का पुनरुत्थान जरूरी है।
जनता पर करोड़ों की योजनाएं लुटाने के बजाय वही पैसा छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों के संरक्षण में लगाया जाए। छत्रपति शिवाजी महाराज ने लाखों-करोड़ों महिलाओं की इज्जत और मांग का सिंदूर बचाया, तो क्या अब हम उनके किलों को सुरक्षित नहीं रख सकते? उन्होंने सुझाव दिया कि शिवरायों के किले जैसे पहले थे, वैसे ही फिर से बनाए जाएं।
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अंत में गायकवाड ने उद्धव और राज के संभावित एकजुट होने पर टिप्पणी की और कहा कि अब समय निकल चुका है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उद्धव ने शिवरायों का रास्ता छोड़कर कांग्रेस का रास्ता अपनाया है, ऐसे में मुंबई की जनता उन्हें स्वीकारेगी क्या?