(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Pune News In Hindi: राज्य की 125 नगरपालिकाओं और 74 नगर पंचायतों पर ‘महिलाराज’ आने वाला है। नगर पालिकाओं के कुल नगराध्यक्षों में से सभी वर्गों की महिलाओं के लिए 125 पद आरक्षित किए गए हैं। इसके अलावा नगर पंचायतों के नगराध्यक्षों के 74 पद भी सभी वर्गों को मिलाकर महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं।
इसी बीच, पुणे जिले को 14 नगर परिषद में से 4 सीट और 4 नगर पंचायतों में से तीन सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं। यानि जिले में कुल 7 महिला नगराध्यक्ष बनने वाली हैं। पुणे जिले में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए नगराध्यक्ष (नगर पालिका अध्यक्ष) पद के लिए आरक्षण की घोषणा कर दी गई है।
यह आरक्षण महिलाओं और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए कई महत्वपूर्ण सीटें सुनिश्चित करता है। दौंड, शिरूर और जुन्नर नगर परिषदों के नगराध्यक्ष पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित किए गए हैं। जबकि मंचर नगर पंचायत का अध्यक्ष पद भी ओबीसी महिला के खाते में गया है।
इसके विपरीत, चाकण नगर परिषद, वडगांव मावल नगर पंचायत और देहू नगर पंचायत के नगराध्यक्ष पद खुले वर्ग की महिला के लिए आरक्षित रखे गए हैं। इस घोषणा ने जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनावों के बाद अब नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के चुनाव प्रक्रिया को गति दे दी है। यह आरक्षण संकेत देता है कि स्थानीय प्रशासन में महिला नेतृत्व को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे उम्मीद है कि इन सीटों पर महिलाओं को चुनाव जिताने के लिए उनके परिजन सक्रिय रूप से मैदान में उतरेंगे।
पुणे शिरूर नगर परिषद के चुनाव के लिए नगराध्यक्ष पद ओवीसी महिला के लिए आरक्षित हुआ है। पिछली पंचवार्षिक अवधि में यहां 21 नगरसेवक में और एक लोक-निर्वाचित नगराध्यक्ष था, लेकिन इस बार नगरसेवकों की संख्या 3 बढ़ गई है और अब यह संख्या 24 हो गई है।
वहीं नगराध्यक्ष को मतदाताओं से ही चुनना होगा, इस प्रकार शिरूर नगर परिषद में कुल सदस्य और नगराध्यक्ष मिलाकर संख्या 25 होगी, आंबेगांव तहसील के मंचर नगर पंचायत के नगराध्यक्ष पद का आरक्षण ओबीसी महिला के लिए पेत, पोषित हुआ है। ग्राम पंचायत के बाद पहली बार स्थापित हुई मंचर नगर पंचायत में नगराध्यक्ष बनने का मान महिला को मिलेगा, इससे पहले मंचर में ग्राम पंचायत थी।
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नगर पंचायत की स्थापना के बाद से यहां प्रशासक काम कर रहा था। इस आरक्षण की लॉटरी के चलते जिला परिषद और पंचायत समितियों की सार्वत्रिक चुनाव प्रक्रिया के बाद अब स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में महापालिका को छोड़कर नगरपालिका और नगर पंचायतों की सार्वत्रिक चुनाव प्रक्रिया को गति मिलने वाली है। जहां नगराध्यक्ष पद महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं, वहां महिलाओं के पति उन्हें चुनाव जिताने के लिए अथक प्रयास करेंगे, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।