शरद पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
पुणे: राष्ट्रवादी कांग्रेस पाटी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार किसी सार्वजनिक पूजा या धार्मिक आयोजन में कम ही शामिल होते हैं। इसी को आधार बनाकर राजनीतिक विरोधियों ने पवार को घोर नास्तिक घोषित करने का प्रयास किया। शरद पवार ने सोमवार को अपने विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि वे भी भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं लेकिन कभी इसका ढिंढोरा नहीं पीटते। पुणे में राष्ट्रवादी आध्यात्मिक और वारकरी आघाड़ी के वारकरी सम्मेलन के समापन समारोह में पवार ने कहा कि उन्हें पांडुरंग (भगवान विट्ठल) के दर्शन के जाने के लिए किसी गाजे-बाजे की जरूरत नहीं पड़ती है।
8 महीने पहले गठित राष्ट्रवादी आध्यात्मिक और वारकरी आघाड़ी का पहला सम्मेलन पुणे में हुआ। इस मौके पर शरद पवार ने कहा मैं भी पांडुरंग के दर्शन के लिए जाता हूं, लेकिन कभी ढिंढोरा नहीं पीटता। दुनिया को ये बताने की जरूरत नहीं है कि वो उनके दर्शन के लिए जा रहे हैं। क्योंकि प्रचार के बगैर किए गए दर्शन से ज्यादा संतुष्टि मिलती है। उन्होंने कहा है कि यहां आने से पहले पुलिस ने मुझसे पूछा कि क्या आप वहां जा रहे हैं? मैंने कहा हां। लेकिन मेरे यहां आने से कुछ लोगों को अस्वस्थता महसूस हुई होगी लेकिन क्या ये लोग पांडुरंग के सच्चे भक्त हैं?
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शरद पवार ने कहा कि जो भगवान पांडुरंग के दर्शन के लिए वारी (तीर्थ यात्रा) पर जाता है वह सच्चा वारकरी है। शरद पवार ने भी बयान देते हुए कहा है कि मैं पांडुरंग के नाम पर कारोबार करने वाली संस्थाओं को पांडुरंग का भक्त नहीं मानता हूं। हालांकि उन्होंने आगे ये भी कहा कि मैं आज यहां भाषण देने नहीं बल्कि सुनने आया हूं।
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शरद पवार ने कहा कि हमें चुनाव को ध्यान में रखकर कार्यक्रम नहीं बनाना चाहिए। एक समाज बने और वह समाज प्रगतिशील हो, यह अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक है। शरद पवार ने कहा कि जिन लोगों से समाज में भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है वे जाति और धर्म देखकर अपनी भूमिका निभाते हैं।