महाराष्ट्र महिला आयोग (pic credit; social media)
Maharashtra News: वाकड के आदिवासी छात्रावास में हुई एक चौंकाने वाली घटना ने हड़कंप मचा दिया है। आरोप है कि प्रवेश प्रक्रिया के दौरान छात्राओं से बिना अभिभावकों की अनुमति लिए गर्भावस्था की जांच (यूपीटी-यूरिन प्रेग्नेंसी टेस्ट) करवाई गई। इस घटना के सामने आने के बाद अभिभावकों में गुस्सा है और छात्रावास प्रशासन पर छात्राओं की निजता का उल्लंघन करने का आरोप लग रहा है।
राज्य महिला आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए हैं। आयोग ने आंबेगांव तालुका के धाडेगांव स्थित एकात्मिक आदिवासी विकास परियोजना के परियोजना अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही आयोग ने स्पष्ट करने को कहा है कि जांच किस प्रक्रिया से हुई, क्या छात्राओं को पहले से जानकारी दी गई थी और क्या अभिभावकों की सहमति ली गई थी।
छात्रावास की अधीक्षिका मंजुध वायसे ने मीडिया से कहा कि हर साल छात्राओं की सामान्य स्वास्थ्य जांच औंध के सरकारी अस्पताल में करवाई जाती है, लेकिन गर्भावस्था जांच की खबरें भ्रामक हैं। उन्होंने दावा किया कि छात्रावास स्तर पर ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया। हालांकि पुलिस जांच में कुछ छात्राओं ने यह पुष्टि की है कि उनसे प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया गया था। इससे मामला और उलझ गया है।
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सरकारी नियमों में छात्रावास की प्रवेश प्रक्रिया के दौरान सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य है, लेकिन गर्भावस्था जांच का कोई उल्लेख नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह छात्रों के व्यक्तिगत अधिकारों और गोपनीयता का उल्लंघन है।
इस घटना के खिलाफ कई महिला संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता भी सामने आए हैं। उनका कहना है कि छात्रावास, छात्राओं के लिए सुरक्षित जगह होनी चाहिए, लेकिन इस तरह की कार्रवाई से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
अब राज्य महिला आयोग की नोटिस के बाद आदिवासी विकास विभाग, संबंधित अस्पताल और छात्रावास प्रशासन की गहन जांच होगी। यदि जांच में गड़बड़ी साबित हुई, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई तय है। इस विवाद ने राज्यभर के छात्रावासों में स्वास्थ्य जांच की प्रक्रिया और नियमों को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।