छत्रपति शिवाजी महाराज के किले बने विश्व धरोह (pic credit; social media)
Maharashtra News: छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित किले अब केवल महाराष्ट्र की धरोहर नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की शान बन गए हैं। 11 जुलाई 2025 को यूनेस्को ने महाराष्ट्र के 11 किलों और दक्षिण भारत के जिंजी किले को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया। इस फैसले के साथ ही शिवाजी महाराज का स्वराज्य वैश्विक मानचित्र पर अंकित हो गया है।
यह उपलब्धि केवल महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन और केंद्र सरकार की सक्रिय भागीदारी ने इसमें अहम भूमिका निभाई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व अजीत पवार, और सांस्कृतिक मंत्री आशीष शेलार ने भी इस प्रक्रिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। यूनेस्को में भारत के राजदूत विशाल शर्मा और पुरातत्व विभाग के अधिकारी हेमंत दलवी समेत कई लोगों की मेहनत से यह सपना साकार हुआ।
रायगढ़ किला – शिवाजी महाराज का राजधानी किला, जहां 1674 में उनका राज्याभिषेक हुआ। यह किला स्वराज्य, स्वाभिमान और मराठा शक्ति का प्रतीक है।
पन्हाला किला – कोल्हापुर का यह किला पावनखिंड की वीर गाथा का साक्षी है। 1660 में सिद्दी जौहर की घेराबंदी से बचने के बाद शिवाजी महाराज ने यहां से ऐतिहासिक प्रस्थान किया।
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लोहगढ़ किला – समुद्र तल से 3,450 फीट ऊंचाई पर स्थित यह किला व्यापार मार्गों की रक्षा करता था। इसकी प्राकृतिक सुरक्षा इसे और खास बनाती है।
शिवनेरी किला – पुणे जिले में स्थित यह वही स्थान है जहां 1630 में जिजामाता ने शिवाजी महाराज को जन्म दिया। यह किला संस्कार और राष्ट्रनिर्माण का प्रतीक है।
प्रतापगढ़ किला – सातारा जिले का यह किला 1656 में बना और यहीं 1659 में अफजल खान के साथ शिवाजी महाराज का ऐतिहासिक युद्ध हुआ।
इसी तरह, सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग, सुवर्णदुर्ग और अन्य समुद्री किले मराठा नौसेना की शक्ति और सामरिक दृष्टि का प्रमाण हैं।
अब जब ये किले यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बन गए हैं, तो यह न केवल शिवाजी महाराज की विरासत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाएगा, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक अध्ययन को भी नई दिशा देगा।