कृषि केंद्र पर उमड़ी किसानों की भीड़ (फोटो नवभारत)
Gadchiroli Urea Shortage News: खेतों में बोई फसलों को आवश्यक समय पर फसलों के वृद्धि के लिए यूरिया खाद की मात्रा देनी पड़ती है। जिससे इन दिनों किसानों को यूरिया खाद की जरूरत महसूस हो रही है। लेकिन गड़चिरोली जिले में कुछ जगह यूरिया खाद की किल्लत निर्माण होने की समस्या सामने आ रही है। इसी तरह एटापल्ली तहसील के जारावंडी-परिसर के किसानों को भी यूरिया खाद की किल्लत निर्माण हो रही है। जिससे किसान संकट में आए हुए है। किसानों को यूरिया खाद उपलब्ध कराने की मांग हो रही है।
एटापल्ली तहसील के जारावंडी परिसर में विगत कुछ दिनों से यूरिया खाद की किल्लत महसूस हो रही है। जिसके मद्देनजर जारावंडी कृषि केंद्र पर बड़े पैमाने पर किसानों की भीड़ उमड़ रही है। इसी के साथ ही अन्य कृषि केंद्रों पर भी किसान नजर आ रहे है। लेकिन खाद की किल्लत के चलते किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
शनिवार को एटापल्ली तहसील के जारावंडी केंद्र पर खाद आने से यहां के कृषि केंद्र पर किसान उमड़ पड़े। लेकिन मर्यादित मात्रा में खाद का वितरण होने से कुछ किसानों को खाद मिला, लेकिन अनेक किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ा।
धान के फसलों के महत्वपूर्ण चरण पर यूरिया खाद की जरूरत महसूस होती है। यूरिया खाद की मात्रा न देने पर फसलों की वृद्धि नहीं होती है। वहीं पत्तों पर भी असर होता है। फसलें सुखने भी लगती है। इसका परिणाम उत्पादन पर होता है। जिससे किसानों को वित्तीय नुकसान सहना पड़ता है।
खाद के लिए जारावंडी परिसर के किसान जारावंडी में पहुंचे। अनेक किसान घंटो-घंटे कतार में रहकर खाद प्राप्त करने का प्रयास किया। लेकिन आवश्यकता के अनुसार खाद उपलब्ध नहीं होने से किसानों की निराशा हुई। कुछ किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ा। कम मात्रा में खाद मिलने से उक्त खाद का कुछ उपयोग नहीं है, ऐसी बात किसानों ने कहीं है।
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इस संदर्भ में किसानों ने प्रशासन से शिकायतें की है। तत्काल उपाययोजना करने की मांग की है। धान के उत्पादन के लिए यूरिया अत्यावश्यक है। यूरिया की किल्लत से किसान संकटों में आए है। खाद नहीं मिलने पर फसलों का नुकसान, उत्पादन में गिरावट तथा उससे वित्तीय हानि किसानों के लिए बड़ा संकट निर्माण कर रही है। जिससे आवश्यक कदम उठाने की मांग किसानों द्वारा की जा रही है।
किसान उद्धव कावले ने बताया कि हमने रात दिन मेहनत कर धान फसलों को खड़ा किया है। लेकिन यूरिया नहीं मिलने से फसलें आंखों के समक्ष मुरझा रही है। इतने प्रयास करने पर भी हाथ में कुछ नहीं रहेगा तो किसान कैसे जियेगा?