अजित पवार व शरद पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
Ajit Pawar News: महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों एक नई और दिलचस्प पटकथा लिखी जा रही है। महायुति सरकार में शामिल उपमुख्यमंत्री और एनसीपी (एनसीपी) के अध्यक्ष अजित पवार की बदलती चालों ने राजनीतिक पंडितों को हैरत में डाल दिया है।
करीब सवा दो साल पहले चाचा शरद पवार से बगावत कर अपनी राह अलग करने वाले अजित दादा का झुकाव अब फिर से अपने पुराने खेमे की ओर बढ़ता दिख रहा है।पुणे के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सत्ता में साथ होने के बावजूद अजित पवार और उनके समर्थकों का मोह शरद पवार के प्रति कम नहीं हुआ है।
विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार शायद शरद पवार द्वारा बिछाए गए ‘रणनीतिक जाल’ में उलझ गए हैं। दरअसल, शरद पवार ने हाल ही में अपने कार्यकर्ताओं को स्थानीय स्तर पर किसी के भी साथ गठबंधन करने की खुली छूट दी है।
इस छूट का असर यह हुआ कि अजित पवार के समर्थक अब शरद पवार की पार्टी के साथ हाथ मिलाने को आतुर दिख रहे हैं. विशेष रूप से पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे महानगर पालिका में दोनों एनसीपी गुटों के एकजुट होने की सुगबुगाहट तेज हो गई है।
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अजित पवार ने भी इस संभावित तालमेल पर सकारात्मक संकेत दिए हैं, जिससे भाजपा खेमे में बेचैनी बढ़ गई है। भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता अब अजित पवार की निष्ठा को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि राज्य की 29 नगर पालिकाओं और महानगर पालिकाओं में भाजपा के पास इच्छुक उम्मीदवारों की भारी भीड़ है। आगामी निकाय चुनावों में यदि यह ‘भीतरी मेलजोल’ जारी रहा, तो महायुति के भीतर भाजपा और अजित पवार के बीच की खाई और गहरी होना तय है। फिलहाल, महाराष्ट्र की राजनीति इस सवाल पर टिकी है कि अजित पवार की असली मंजिल क्या है?।