
मुठा नदी (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mutha River Project: मुठा नदी किनारे के विकास और बाढ़ नियंत्रण को लेकर पुणे महानगर पालिका की नदी सुधार परियोजना प्रशासन के लिए सफेद हाथी बन गई है। इस प्रोजेक्ट का छठा चरण पूरी तरह तैयार है, लेकिन बढ़ते खर्च ने सवाल खड़े कर दिए हैं। विठ्ठलवाड़ी से शुरू होने वाले इस 4.10 किलोमीटर लंबे स्ट्रेच पर कार्य की कुल लागत अब 450 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है, जबकि शुरू में अनुमान 300 करोड़ रुपये था।
महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे में मुठा नदी किनारे बाढ़ नियंत्रण और शहर के सौंदर्याकरण के लिए यह योजना अहम मानी जा रही है। सिंहगढ़ रोड के एकता नगर, विठ्ठलनगर और निंबजनगर जैसे निचले इलाके पिछले वर्ष खडकवासला डैम से छोड़े गए पानी के कारण जलमग्न हो गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मौके का दौरा कर इस क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण उपायों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए थे।
पुणे महानगर पालिका के प्रोजेक्ट अधीक्षक अभियंता दिनकर गोजारे के अनुसार, वडगांव खुर्द से राजाराम पुल तक नदी की चौड़ाई बढ़ाकर 90 मीटर की जाएगी। एकता नगर में नाले को सीमा दीवार से मजबूती मिलेगी और जैकवेल सिस्टम के माध्यम से बाढ़ का पानी पंपिंग द्वारा बाहर निकाला जाएगा।
वहीं बस्तियों में घुसने वाले पानी के मार्ग पर मलबा डालकर जमीन को ऊंचा किया जाएगा। इस चरण में चार घाट, चार रैंप और दो व्यू प्वाइंट भी विकसित किए जाएंगे।
परियोजना की शुरुआती लागत 300 करोड़ रुपये अनुमानित थी, लेकिन विस्तृत गणना, निर्माण सामग्री की कीमत, जीएसटी और रॉयल्टी बढ़ने के कारण कुल खर्च 449।91 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा। इस बढ़ते खर्च को पूरा करने के लिए महापालिका ने राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग से अतिरिक्त फंड की मांग की है।
नदी सुधार योजना में केवल बाढ़ नियंत्रण ही नहीं, बल्कि सौंदर्याकरण और पर्यावरणीय सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जा रहा है। राजाराम पुल से हिंगणे तक पैदल और साइकिल ट्रैक बनाए जाएंगे। उपलब्ध जगहों पर 12 मीटर चौड़े मार्ग विकसित किए जाएंगे।
परियोजना की रूपरेखा बनाते समय पिछले 100 वर्षों में आई बाढ़ के आकडे देखे गए। इसके अनुसार किनारों की ऊंचाई औसत जल स्तर से एक मीटर अधिक रखी जाएगी ताकि नदी की वहन क्षमता बढ़ सके, सिंहगढ़ रोड और विठ्ठलवाड़ी क्षेत्र बाढ़ प्रवण घोषित है।
यह भी पढ़ें:- किसान आंदोलन होगा खत्म? आज CM फडणवीस से मिलेंगे बच्चू कडू, जरांगे के नागपुर पहुंचने से नया ट्विस्ट
कार्य शुरू होने से पहले महानगर पालिका, जल सिंचाई विभाग और केंद्रीय जल एवं शक्ति अनुसंधान संस्थान (CSPRS) के वरिष्ठ अधिकारियों की विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी। समिति बारिश, भू-रचना और बाढ़ प्रवाह की दिशा को ध्यान में रखकर तकनीकी सुझाव देगी। 300 करोड़ की मूल लागत वाली परियोजना का खर्च बढ़कर 450 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा।
प्रोजेक्ट अधीक्षक अभियंता दिनकर गोजारे परियोजना पूरी होने पर सिंहगढ़ रोड से लेकर एकता नगर क्षेत्र बाढ़ से सुरक्षित होगा और पुणे शहर की नदी किनारे की सुंदरता को नई पहचान मिलेगी, लेकिन 150 करोड़ रुपये की बढ़ती लागत और लंबे समय से लंबित कार्यों के कारण सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह परियोजना सच में राहत देगी या महापालिका का एक “सफेद हाथी बन जाएगी।






