कांग्रेस एनसीपी (सौ. सोशल मीडिया )
Pune Municipal Election 2025: पुणे महानगर पालिका (मनपा) चुनाव की तारीख घोषित होते ही शहर का सियासी पारा चढ़ने लगा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अभेद्य किले को ढहाने के लिए विपक्षी दल नई रणनीति बनाने में जुटे हैं।
इस बीच सबसे बड़ी चर्चा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दोनों गुटों के एक साथ आने की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी चुनाव में महाविकास आघाड़ी का विस्तार हो सकता है और अजित पवार गुट भी इसका हिस्सा बन सकता है। हालांकि, इस संभावित ‘हृदय मिलन’ के बीच कांग्रेस की एक सख्त शर्त ने अजित पवार गुट के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
पुणे की राजनीति में ‘गठबंधन’ कोई नई बात नहीं है। पूर्व सांसद सुरेश कलमाड़ी और अजित पवार के बीच विवाद के दौर में ‘पुणे पैटर्न’ का उदय हुआ था, जिसमें राकांपा, भाजपा और शिवसेना ने हाथ मिलाया था। इसके बाद 2017 तक कांग्रेस और राकांपा की संयुक्त सत्ता रही। हालांकि, 2017 में भाजपा ने चार नगरसेवकों वाले (पैनल) सिस्टम के जरिए बाजी पलट दी और कांग्रेस-राकांपा को सत्ता से बाहर कर दिया।
2017 के चुनाव में कांग्रेस के केवल 9 नगरसेवक चुने गए थे। उनके साथ निर्दलीय उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर के चुनाव जीतने से कांग्रेस नगरसेवकों की संख्या बढ़कर 10 हो गई। इसके अलावा, एक मनोनीत नगरसेवक अजित दरेकर भी कांग्रेस के साथ थे। विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना के एक नगरसेवक अविनाश सालवे भी कांग्रेस में शामिल हो गए। लेकिन वर्तमान में दलबदल के बाद कांग्रेस के पास केवल 6 पूर्व नगरसेवक ही बचे हैं।
पार्टी का वोट बैंक खासकर पुणे कैटोनमेंट, कसबा और कोथरूड जैसे इलाकों में मजबूत माना जा रहा है। कैटोनमेंट विधानसभा क्षेत्र में शहर अध्यक्ष अरविद शिंदे और कासेवाड़ी प्रभाग से अविनाश बागवे जैसे कद्दावर नेता अपने-अपने क्षेत्रों में किला लड़ाने को तैयार है। वहीं, अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित सीट पर कांग्रेस स्वतंत्र पैनल उतार सकती है।
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कांग्रेस का मानना है कि भले ही उनके पास वर्तमान नगरसेवकों की संख्या कम हो, लेकिन जमीनी कार्यकर्ताओं का नेटवर्क आज भी भाजपा को टक्कर देने में सक्षम है. 182 उम्मीदवारों ने इंटरव्यू दिया है।