पुणे महानगरपालिका (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pune News In Hindi: राज्य की सबसे बड़ी और सबसे अधिक क्षेत्रफल वाली पुणे मनपा वित्तीय संकट का सामना कर रही है। 516 वर्ग किलोमीटर में फैली इस महापालिका के जिम्मे लाखों नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से पुणे मनपा को उतनी इनकम नहीं हो पा रही है जितनी की जरूरत है।
गौरतलब है कि पिछले तीन से चार सालों में पुणे मनपा का वार्षिक बजट 12 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। इसके बावजूद PMC की वास्तविक इनकम कभी भी साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये से उपर नहीं जा पाई है।
बजट और इनकम के बीच का यह फर्क PMC की वित्तीय स्थिति पर सवाल खड़े कर रहा है। मनपा आयुक्त ने हाल ही में हुई राजस्व समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि आने वाले वर्षों में नए राजस्व स्रोतों की तलाश की जाए और अनावश्यक खर्चों पर सख्ती से लगाम लगाया जाए।
पुणे मनपा के राजस्व में लगातार गिरावट के कई कारण हैं। पहले पुणे मनपा को जकात, प्रॉपर्टी टैक्स, विकास शुल्क, अतिक्रमण कार्रवाई, आकाश चिन्ह (बिलबोर्ड) टैक्स और अपनी प्रॉपर्टी से अच्छी-खासी इनकम होती थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन स्रोतों पर गहरा असर पड़ा है। पहले जकात समाप्त की गई फिर लोकल बॉडी टैक्स लागू किया गया। इसके बाद LBT को भी हटाकर GST लागू कर दिया गया। GST लागू होने से पुणे मनपा की सीधी इनकम बंद हो गई।
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वर्तमान में पुणे मनपा का वित्तीय ढांचा मुख्य रूप से तीन स्रोतों पर टिका है। इनमें निर्माण विकास शुल्क लगभग 2,000 करोड़, प्रॉपर्टी टैक्स 2,100 से 2,200 करोड़, राज्य सरकार से एलबीटी अनुदान लगभग 2,700 करोड़ रुपए है। इनके अलावा आकाश चिन्ह शुल्क, अतिक्रमण कार्रवाई, अवैध निर्माण कार्य, पथारी शुल्क और पुणे मनपा की प्रॉपर्टीज का किराया इन सभी से मिलने वाली इनकम लगभग 50% तक घट गई है। मनपा आयुक्त ने बैठक में साफ कहा कि पुणे मनपा के कई विभाग ऐसे कामों पर खर्च कर रहा हैं जिसकी कोई वास्तविक जरूरत नहीं है। सड़क विभाग और प्रकल्प विभाग अक्सर बिना जरूरत के टेंडर निकालते हैं। आवश्यक नहीं होने पर भी करोड़ों रुपये के काम शुरू किए जाते हैं।