येरवड़ा-कात्रज सुरंग परियोजना (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा (पीएमआरडीए) प्रस्तावित लगभग 20 किलोमीटर लंबी येरवड़ा-कात्रज सुरंग परियोजना संभव नहीं हैं। इस परियोजना को प्रस्ताव के मुताबिक वास्तविक रूप में लागू करना कठिन है।
यह महापालिका आयुक्त नवल किशोर राम ने स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने तकनीकी अड़चनों के साथ-साथ आर्थिक व्यवहारिकता को लेकर भी सवाल खड़े किए है। राम ने बताया कि प्रस्तावित सुरंगा में कई स्थानों पर प्रवेश (एंट्री) और निर्गम (एग्जिट) मार्ग बनाए जाने थे, लेकिन प्रत्येक स्थान पर यातायात के लिए अतिरिक्त लेन बनाना आवश्यक था।
पुणे के घनी आबादी वाले क्षेत्र और सीमित सड़कों को देखते हुए वास्तविक रूप में ऐसी लेन बनाना संभव नहीं है। इसके अलावा भारी भरकम लागत के कारण भी यह परियोजना शहर के लिए आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं है। यह पूरी राय मनपा आयुक्त ने पुणे एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण (PUMTA) की बैठक में रखी है। इस परियोजना की प्रारंभिक अनुमानित लागत 4,503 करोड़ रुपए थी। प्रति किलोमीटर लगभग 400 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित था जो काफी ज्यादा है। पीएमआरडीए ने इसका प्रारूप तैयार किया और महापालिका अधिकारियों के साथ चर्चा की।
सुरंग में दो अलग मार्ग एक प्रवेश के लिए और दूसरा निर्गम के लिए रखने का विचार था। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सुरंग का व्यापक रूप से उपयोग हो, कई स्थानों पर एंट्री-एग्जिट प्वाइंट्स प्रस्तावित किए गए थे। लेकिन इन सभी स्थानों पर आवश्यक सड़क सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण परियोजना केवल कागज पर ही रह जाएगी, MRDA हाल ही में पीएमआरडीए के 4,503 करोड़ रुपये बजट को मंजूरी दी गई।
इस दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने परियोजना को सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति दी थी और ‘ट्विन टनल’ तकनीक अपनाने तथा नए तकनीकी तरीकों के इस्तेमाल का निर्देश दिया था। यह सुरंग उत्तर-दक्षिण कनेक्ट के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। लेकिन वास्तविक रूप से लागू करने में तकनीकी और वित्तीय अड़चने सामने आई हैं। येरवड़ा-कात्रज और मध्य पुणे की अन्य सुरंग परियोजना तकनीकी और वित्तीय अड़चनों के कारण वास्तविक रूप में संभव नहीं हैं। ट्रैफिक जाम एक गंभीर समस्या है और इसके लिए व्यवहारिक के विकल्पों पर ध्यान देना जरूरी है।
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पुणे एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण (PUMTA) द्वारा बैठकों का आयोजन किया जाता है। विभागीय आयुक्त डॉ। चंद्रकांत पुंडकुलवार ने कहा था कि बैठकों के निर्णय मीडिया के साथ साझा किए जाए, लेकिन PMRDA के अधिकारी जानकारी साझा करने में हिचकिचा रहे हैं। छोटे-छोटे निर्णयों के लिए प्रेस नोट जारी करने वाले अधिकारी महत्वपूर्ण निर्णयों पर मौन क्यों रख रहे हैं, यह सवाल उठता है।