अंजलि दमानिया और पार्थ पवार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Mahayuti Alliance: पुणे के जैन बोर्डिंग जमीन व्यवहार मामले में केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल का नाम सामने आने के बाद अब एक और नये विवाद से महायुति सरकार को एक ही महीने में दूसरा झटका लगा है। जैन बोर्डिंग मामले जैन समाज के देशव्यापी आंदोलन के दबाव में धर्मादाय आयुक्त को जमीन की डील रद्द करनी पड़ी थी।
अब उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बड़े बेटे और सांसदी का चुनाव लड़ चुके पार्थ पवार पर पुणे के मुंढवा में महार वतन जमीन को 300 करोड़ रुपए में आईटी पार्क बनाने के लिए खरीदने का आरोप लगा है। आरोप है कि यह जमीन 1,804 करोड़ रुपए की है। ऐसे में एक महीने के भीतर दूसरा जमीन घोटाला सामने आने से महायुति के घटक दल बैकफुट पर आ गए है।
पहला मामला भाजपा से जुड़ा था तो दूसरा मामला अजित पवार के राष्ट्रवादी से जुड़ा होने से महायुति की जमकर किरकिरी हो रही है। मुरलीधर मोहोल के मामले में आरोप लगते ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने क्लीनचिट दे दी थी लेकिन जैसे ही अजगन दे दी थी जैसे आया फडणवीस ने बगैर देर किए जांच के आदेश दिए हैं। ऐसे में एक तरफ जहां 2 मामले के एक के बाद एक सामने आने से महायुति बैकफुट पर है वहीं दूसरे मामले में तुरंत जांच के आदेश दिए जाने से यह सवाल भी पैदा हो रहा है।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार पर आरोप है कि उन्होंने जमीन की खरीद में शुल्क राशि कम दिखाकर करोड़ों की स्टाम्प ड्यूटी चोरी की। इस सौदे का इंडेक्स II दस्तावेज सबूत के तौर पर पेश किया गया है, सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने इस मामले से संबंधित कई दस्तावेज साझा किए हैं लेकिन कार्यकर्ता विजय कुंभार ने इन दस्तावेजों में कई गंभीर त्रुटियों की ओर इशारा किया है। बताया जा रहा है कि जमीन का वास्तविक मूल्य 1804 करोड़ रुपए थी, जबकि दस्तावेजों में इसे सिर्फ 300 करोड़ रुपए का दिखाया गया। इसी वजह से करोड़ों रुपए की स्टाम्प ड्यूटी चोरी का आरोप पार्थ पवार पर लग रहा है।
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22 अप्रैल 2025: अमेडिया कंपनी ने आईटी पार्क बनाने का प्रस्ताव पारित किया जिस पर पार्थ अजित पवार और दिग्विजय अमर सिंह पाटिल के हस्ताक्षर है।
24 अप्रैल 2025: रिसर्फ 48 घंटे बाद ही उद्योग संचालनालय ने स्टाम्प ड्यूटी माफी की मंजूरी दी। 27 दिनों में पूरी जमीन की खरीद प्रक्रिया पूरी कर ली गई।
राज्य सरकार की नीति के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और आईटी से जुड़ी सेवाओं में अगर कुल निवेश का 25% से अधिक निवेश विस्तार या विविधीकरण के रूप में किया जाता है तो उस निवेश को स्टाम्प ड्यूटी छूट के लिए पात्र माना जाता है, साथ ही जिन आईटी पाकों को वैध प्रारंभ प्रमाणपत्र या रेरा की मंजूरी मिल चुकी है उन्हें भी यह छूट दी जाती है।