
पुरंदर एयरपोर्ट का डिजाइन (सोर्स: साेशल मीडिया)
Purandar Airport News: पुणे जिले के पुरंदर तालुका के पारगांव मेमाणे गांव में दीपावली पाडवा के दिन हुई ग्राम सभा में ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करते हुए प्रस्तावित पुरंदर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना का कड़ा विरोध किया। ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि एक भी किसान की जमीन नहीं दी जाएगी। गांव के किसी भी नागरिक को अन्याय सहन नहीं करना पड़ेगा।
पिछले कुछ वर्षों से पुरंदर हवाई अड्डा परियोजना को लेकर क्षेत्र में मतभेद और भ्रम का माहौल बना हुआ था। कुछ लोग हवाईअड्डे के पक्ष में थे तो कुछ इसके विरोध में, लेकिन इस साल दीपावली पाडवा की ग्राम सभा ने इन मतभेदों को दरकिनार करते हुए एकता का सुर छेड़ा है। सभा में बड़ी संख्या में ग्रामीण, किसान, महिलाएं और युवा उपस्थित थे।
यह भी तय किया गया कि गांव का कोई भी नागरिक अकेले सरकार से चर्चा नहीं करेगा। सभी संवाद, निवेदन और निर्णय ग्राम स्तर पर गठित कार्य समिति (एक्शन कमेटी) के जरिए ही होंगे। इस समिति का गठन अगले कुछ दिनों में किया जाएगा। सभा में बोलते हुए ग्राम पंचायत सदस्यों और स्थानीय किसान नेताओं ने सरकार की नीति पर नाराजगी व्यक्त की।
एक वरिष्ठ किसान ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि अगर विकास के नाम पर हमारी खेती पर संकट आएगा तो वह विकास हमारे लिए विनाशकारी साबित होगा। कुछ युवाओं ने पुनर्वास, रोजगार और वैकल्पिक आजीविका के अवसरों के बारे में सवाल उठाए। यह तय किया गया कि इन सभी मुद्दों पर एक अध्ययन समूह नियुक्त किया जाएगा।
पुरंदर हवाई अड्डे के लिए कुंभारवलण, वनपुरी, खानवडी, एखतपूर और पारगांव इन सात गांवों से 1,285 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है।
पुणे जिलाधिकारी जितेंद्र डूडी ने कहा कि पुरंदर हवाई अड्डे के लिए सात गांवों में 1,285 हेक्टेयर 66 जमीन की ‘ड्रोन सर्वे’ के जरिए माप पूरी कर ली गई है। वास्तविक जगह पर माप में कुछ मामूली भूखंडों को छोड़कर, पूरे क्षेत्र की माप पूरी की गई है। इसलिए, अब अगली प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी।
जिला प्रशासन ने इन सात गांवों की जमीन की मामूली भूखंडों को छोड़कर पूरी माप प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। लेकिन कुछ किसानों ने पेड़ों और अन्य हिस्सों की माप का विरोध किया था। लेकिन ‘ड्रोन सर्वे’ के जरिए माप पूरी होने के कारण अब अगली प्रक्रिया में तेजी आने के संकेत हैं।
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इस भूमि की माप के लिए 26 सितंबर से सात गांवों में माप की प्रक्रिया शुरू की गई थी। माप के लिए जिला प्रशासन ने पांच टीमें तैयार की थीं। इन टीमों के जरिए माप पूरी करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस संबंध में भूमि अधिग्रहण अधिकारी समन्वयक डॉ. कल्याण पांढरे ने जानकारी दी।
उपविभागीय अधिकारी वर्षा लाडगे और भूमि अधिग्रहण अधिकारी डॉ. संगीता चौगुले राजापूरकर के नेतृत्व में माप की प्रक्रिया पूरी की गई। पारगांव को छोड़कर बाकी गांवों में माप की प्रक्रिया शांतिपूर्वक पूरी हुई, लेकिन पारगांव में कुछ किसानों ने माप का विरोध किया। इसलिए, उन किसानों की जमीन के भूखंड को छोड़कर जिला प्रशासन ने माप पूरी कर ली है।






