वोट चोरी (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: शहर के कोथरूड इलाके में मुलशी तहसील के पूरे 988 मतदाताओं को नए वोटर के रूप में जोड़ा गया है। जबकि वे रहस्यमय तरीके से मुलशी बांध क्षेत्र की मतदाता सूची से गायब हो गए है।
इस चौंकाने वाले ‘वोट चोरी’ के मामले को लेकर शिवसेना (यूबीटी) आक्रामक हो गई है और उन्होंने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव की घोषणा होने से ठीक पहले गांव की मतदाता सूची से नाम हटाकर उन्हें कोथरूड में शामिल कर दिया गया है।
करीब सात साल के इंतजार के बाद स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनाव कार्यक्रम को घोषणा हुई है, जिससे मतदाता सूचियों को अपडेट करने का काम तेजी से चल रहा है। दो दिन पहले बांध क्षेत्र के शिवसेना (यूबीटी) कार्यकर्ताओं ने जब ऑनलाइन अपने नाम चेक किए, तो पता चला कि उनके नाम कोथरूड में जोड़ दिए गए हैं। उन्होंने आस-पास के गांवों के कार्यकर्ताओं से भी पूछताछ की, तो उन्हें भी अपने गांव के नाम गायब होने की जानकारी मिली।
मुलशी के तहसीलदार विजयकुमार चौबे ने कहा है कि गांव की सूची से मतदाताओं के नाम हटाए जाने की शिकायतें मिली है। जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, उनका फॉर्म नंबर छह भरवाकर और उचित सबूत लेकर इन नामों को वापस गांव की सूची में शामिल करने की कार्रवाई की जाएगी।
पदाधिकारियों से विस्तृत जानकारी लेने पर पता बला कि कुल 988 मतदाताओं के नाम गांव की सूची से गायब हो गए है। इनमें निवे गांव के सबसे अधिक 236 मतदाताओं के नाम गायब हुए हैं। वहीं वांद्रे और आदरवाड़ी से प्रत्येक 109 मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इसी प्रकार, वार्षे (91), वड़गांव (50), वाघवाड़ी (15), ताम्हिणी (44) और ढोकलवाड़ी (35) के मतदाताओं के नाम सूची से गायब हैं। अपने हक के मतदाता अचानक गायब होने से शिवसेना और ग्रामीण दोनों ही आक्रोशित है। उन्होंने चुनाव आयोग और जिला प्रशासन के खिलाफ तीव्र विरोध व्यक्त किया है। हर तरफ यह भावना व्यक्त की जा रही है कि यह लोकतंत्र के मूल अधिकार पर सीधा हमला है।
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युवा सेना के विभागीय सचिव अविनाश बलकवडे ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, अपने राजनीतिक भविष्य के लिए गांव के वोटों की चोरी करने वाला कोथरूड का वह कार्यकर्ता कौन है, इसका पता शिवसैनिक लगा रहे हैं। इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका है। शिवसेना (यूबीटी गुट) के तहसील प्रमुख सचिन खैरे ने कहा कि मतदाता सूची में नाम नागरिक की आवाज है और अगर वही आवाज हटा दी जाए, तो लोकतंत्र कैसे जीवित रहेगा? शिवसेना इस मामले की जड़ तक जाएगी। जब तक इन नामों को वापस गांव की सूची में नहीं जोड़ा जाता, तब तक शिवसैनिक चुप नहीं बैठेंगे।