उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pune News In Hindi: महाराष्ट्र में आगामी महानगर पालिका और जिला परिषद चुनावों से ठीक पहले, सत्तारूढ़ महायुति (गठबंधन) की समन्वय समिति ने एक बड़ा और निर्णायक फैसला लिया है।
गठबंधन के सहयोगी दलों (भाजपा, राकांपा-अजीत पवार, और शिवसेना-शिंदे गुट) के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी में शामिल न करने का निर्णय लिया गया है।यह फैसला पुणे की राजनीति में भूचाल लाने वाला माना जा रहा है, जिसने भाजपा के ‘मिशन 125’ को भी झटका दिया है, और इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस में संभावित विभाजन को फिलहाल के लिए टाल दिया है।
पुणे महानगर पालिका में फिर से सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा ने मिशन 125 की घोषणा की है। पिछले चुनाव में भाजपा के पास 97 नगरसेवक थे।
125 सीटों का लक्ष्य हासिल कर पूर्ण बहुमत पाने की रणनीति के तहत, भाजपा ने मुख्य रूप से अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस को तोड़ने की योजना बनाई थी। महायुति के इस निर्णय ने न केवल भाजपा की ‘तोड़-फोड़ की रणनीति पर पानी फेर दिया है, बल्कि मिशन 125’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक बड़ी चुनौती भी खड़ी कर दी है।
यह निर्णय नगर परिषद और नगर पंचायतों के हालिया चुनावों में सामने आई कड़वाहट के बाद लिया गया है। इन चुनावों में महायुति के तीनों घटक दलों ने एक-दूसरे के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को तोड़कर अपनी पार्टियों में शामिल किया था, जिससे सहयोगी दलों के बीच तनाव और विवाद पैदा हो गया था। आगामी बड़े चुनावों में आपसी तालमेल बनाए रखने और गठबंधन को टूटने से बचाने के लिए समन्वय समिति ने सर्वसम्मति से यह सख्त ‘नो एंट्री’ नियम लागू किया है।
इस फैसले से सबसे बड़ी राहत उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को मिली है। पूर्व नगरसेवकों के पाला बदलने से पार्टी में एक बड़े विभाजन का खतरा मंडरा रहा था। राजनीतिक, गलियारों में चर्चा थी कि राकांपा (अजीत पवार) के लगभग 21 पूर्व नगरसेवक भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की उम्मीद में पार्टी के संपर्क में थे।
इन ‘प्रवेश के इच्छुक’ पूर्व नगरसेवकों का भाजपा के टिकट पर जीत हासिल करने का सपना अब चकनाचूर हो गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अक्टूबर में पश्चिम महाराष्ट्र के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी, उन्हीं बैठकों में पुणे महानगरपालिका चुनाव के लिए मिशन 125′ का लक्ष्य तय किया गया था।
इससे पहले, भाजपा ने तत्कालीन अविभाजित शिवसेना से पांच पूर्व नगरसेवकों विशाल धनवडे, बाला ओसवाल, पल्लवी जावले, प्राची अल्हाट और संगीता ठोसर को पार्टी में शामिल किया था। इसके बाद पवार की राकांपा को निशाना बनाने की तैयारी थी, जिसके पिछले चुनाव में 39 नगरसेवक थे।
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सूत्रों के अनुसार, यह फैसला शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंद के हालिया दिल्ली दौरे के बाद आया है। नगर परिषद चुनावों से ठीक पहले, शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और कथित तौर पर भाजपा द्वारा उनकी पार्टी के पदाधिकारियों को तोड़ने के प्रयासों की शिकायत की थी। इस शिकायत के बाद, समन्वय समिति की बैठक में घटक दलों के प्रवेश पर रोक लगाने का यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसने महाराष्ट्र की स्थानीय राजनीति का समीकरण बदल दिया है।