पुणे के सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ( सोर्स: सोशल मीडिया)
S Jaishankar On India Global Recognition: पुणे के सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बदलते भारत की तस्वीर पेश की। उन्होंने बताया कि कैसे भारत की कार्य-नैतिकता, तकनीकी कौशल और आत्मविश्वास ने दुनिया का नजरिया बदल दिया है। अब दुनिया हमें पहले की तुलना में अधिक गंभीरता और सकारात्मकता के साथ देख रही है।
वैश्विक शक्ति संतुलन में बड़ा बदलाव विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पुणे में आयोजित सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में आज एक युगांतकारी परिवर्तन आ चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब शक्ति और प्रभाव के कई केंद्र उभर चुके हैं, जिसके कारण दुनिया के समीकरण बदल गए हैं। अब वह दौर बीत चुका है जब कोई भी देश, चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, अपनी मर्जी को अन्य सभी देशों या अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर जबरन थोप सकता था। शक्ति का यह विकेंद्रीकरण भारत जैसे उभरते राष्ट्रों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज दुनिया भारत को पहले की तुलना में कहीं अधिक सकारात्मक और गंभीरता से देखती है। उनके अनुसार, यह बदलाव किसी संयोग का परिणाम नहीं है, बल्कि यह हमारे ‘राष्ट्रीय ब्रांड’ और भारतीयों की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा में आए उल्लेखनीय सुधार की वजह से है। आज विदेशी धरती पर भारतीयों को उनकी मजबूत कार्य-नैतिकता, प्रौद्योगिकी में दक्षता और परिवार-केंद्रित संस्कृति के लिए विशेष सम्मान दिया जाता है। विदेश मंत्री ने साझा किया कि अंतरराष्ट्रीय दौरों के दौरान वह अक्सर भारतीय प्रवासियों की प्रशंसा सुनते हैं, जो भारत की साख को वैश्विक मंच पर और ऊंचा करते हैं।
My remarks at the 22nd Convocation today of the Symbiosis International (Deemed University) in Pune https://t.co/2TvUi9hfyT — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 20, 2025
भारत के बारे में दुनिया की पुरानी और संकुचित धारणाएं अब तेजी से खत्म हो रही हैं। जयशंकर ने बताया कि देश के भीतर ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ (कारोबार में आसानी) और ‘ईज ऑफ लिविंग’ (जीवन जीने की सुगमता) में हुई प्रगति ने भारत को एक आधुनिक और गतिशील राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है। हालांकि प्रगति की यह यात्रा अभी जारी है और भविष्य में कई लक्ष्य हासिल करने बाकी हैं, लेकिन भारत की छवि में आया यह बदलाव एक निर्विवाद सत्य है जिसे आंकड़े भी प्रमाणित करते हैं। अब भारतीय दुनिया के साथ पहले से कहीं अधिक आत्मविश्वास और क्षमता के साथ संवाद कर रहे हैं, जो एक आत्मनिर्भर भारत की पहचान है।
भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका में उसके मानव संसाधनों की प्रासंगिकता सबसे महत्वपूर्ण है। जयशंकर ने कहा कि यदि भारत को वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति और मजबूत करनी है, तो उसे आधुनिक विनिर्माण (Manufacturing) क्षमता को विकसित करना ही होगा। केवल सेवा क्षेत्र के भरोसे इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर नहीं ले जाया जा सकता।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि जैसे-जैसे देश की आय बढ़ रही है, हमें समाज के हर क्षेत्र में विशेषज्ञों की जरूरत होगी। भारत को अब केवल इंजीनियरों और डॉक्टरों की ही नहीं, बल्कि भारी संख्या में वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, इतिहासकारों, कलाकारों और खिलाड़ियों की भी आवश्यकता है। पिछले एक दशक में उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या का लगभग दोगुना होना इस बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह भी पढ़ें:- ‘भाई का काम कर दिया…’ गडकरी के मजाक पर प्रियंका गांधी की मुस्कान, संसद के दिलचस्प पल का Video Viral
वैश्वीकरण ने न केवल आर्थिक संबंधों को बदला है, बल्कि हमारे सोचने और काम करने के तरीके को भी पूरी तरह से रूपांतरित कर दिया है। विदेश मंत्री ने कहा कि औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के बाद वे देश तेजी से आगे बढ़े हैं, जिनके पास अपने भविष्य का नियंत्रण था और जिन्होंने गुणवत्तापूर्ण नीतियों को अपनाया। उन्होंने भारत की तुलना चीन से करते हुए कहा कि हालांकि इस दौर में चीन को सबसे अधिक लाभ हुआ, लेकिन भारत ने भी नेतृत्व और बेहतर शासन व्यवस्था के दम पर शानदार प्रदर्शन किया है।
दूसरी ओर, पश्चिमी दुनिया का एक बड़ा हिस्सा वर्तमान में आर्थिक और राजनीतिक ठहराव का सामना कर रहा है, जो वैश्विक राजनीति के बदलते स्वरूप को दर्शाता है। भारत की यह प्रगति उस प्रतिभाशाली विद्यार्थी की तरह है जिसने अपनी मेहनत और अनुशासन से न केवल कक्षा में अपना स्थान बनाया है, बल्कि अब पूरी पाठशाला के कायदे और नियम तय करने में उसकी राय को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।