मंत्री गणेश नाईक (सौजन्य-एक्स)
पुणे: वन मंत्री गणेश नाईक ने कहा है कि वन विभाग को अजित पवार के वित्त विभाग से फंड मांगने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। वन विभाग को खुद राज्य सरकार को पैसे देने चाहिए। इसी दृष्टिकोण से आने वाले चार वर्षों में वन विभाग की क्षमता निर्माण की जाएगी।
यह बात उन्होंने वन विभाग और डीईएस पुणे विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘वन संरक्षण और पर्यावरण पूरक उपजीविका’ कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में कही। मंत्री गणेश नाईक ने कहा कि पहले जब विश्व बैंक से फंड मिलता था, तो उसका उपयोग कैसे किया जाए, इस पर कोई ठोस योजना नहीं थी, जिसके कारण वह फंड अप्रयुक्त रह गया।
हालांकि, उस फंड से वन विभाग के कर्मचारियों को वाहन, वायरलेस उपकरण और शस्त्र उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन अब वे सभी उपकरण पुराने हो चुके हैं। अब वन विभाग राज्य के विभिन्न हिस्सों में फल का जूस बनाने और बेचने की योजना बना रहा है, जिसके लिए मंत्रिमंडल और जरूरत पड़ने पर वित्त और विधि विभाग की मंजूरी भी ली जाएगी। इसके साथ ही पेपर पल्प का उत्पादन भी आवश्यक है, क्योंकि देश में पेपर पल्प की 50% मांग को ही पूरा किया जाता है और बाकी आयात करना पड़ता है।
वन विकास महामंडल (एफसीडीएम) के माध्यम से सार्वजनिक इश्यू जारी करने का भी विचार है, जिसके लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद फंड उपलब्ध कराया जाएगा। महाबलेश्वर और माथेरान में वन विभाग के जंगल हैं, लेकिन वहां के मधु संग्रहणकर्ता अलग हैं, इसलिए अगले छह महीने में मधु संग्रहण केंद्र और अपना ब्रांड शुरू किया जाएगा।
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पूर्व में सुधीर मुनगंटीवार चंद्रपुर में फर्नीचर फैक्ट्री शुरू करना चाहते थे, लेकिन फंड न मिलने के कारण वह योजना सफल नहीं हो पाई। अब 70 करोड़ रुपये जारी कर आठ महीने के अंदर उस फैक्ट्री को चालू करने के निर्देश दिए गए हैं। निजी कंपनी के साथ जॉइंट वेंचर के जरिए तैयार फर्नीचर सरकारी विभागों, स्कूलों को बिना टेंडर प्रक्रिया के सीधे उपलब्ध कराया जाएगा।