मेडिसिन की कीमत (सौ. सोशल मीडिया )
Pimpri News In Hindi: शहर में इन दिनों विभिन्न संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है, इसकी वजह से दवाओं की मांग काफी बढ़ गई है। बढ़ती महंगाई और सीमित इनकम के कारण आम नागरिक पहले से ही आर्थिक तंगी झेल रहे हैं।
ऐसे समय में केंद्र सरकार ने नागरिकों को राहत देने के लिए दवाओं के दाम पर लगे जीएसटी रेट को 12% से घटाकर 5% करने का निर्णय लिया। यह फैसला नागरिकों के लिए राहत देने वाला साबित हो सकता था, लेकिन वास्तविकता में यह निर्णय केवल कागजों पर ही सीमित रह गया है। कहीं भी मेडिकल शॉप पर दवाओं के दाम कम नहीं हुए हैं।
पहले जिस कीमत पर दवा मिलती थी, उसी कीमत पर अभी भी दवा मिल रही है। पिंपरी-चिंचवड क्षेत्र के कई दवा विक्रेता अब भी पुरानी एमआरपी के अनुसार ही दवाएं बेच रहे हैं। सरकार का निर्णय लागू हुए तीन सप्ताह बीत चुके हैं फिर भी कई दुकानों में नए दरों से दवा नहीं बेची जा रही है। विक्रेता सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने या “नया माल नहीं आने की दलील देकर पुरानी दरों पर ही दवाएं बेच रहे हैं। ऐसे में जीएसटी में की गई कटौती का लाभ नागरिकों तक नहीं पहुंच रहा है।
औषध प्रशासन विभाग (एफडीए) ने इस पर कठोर रुख अपनाया है और साफ कर दिया है कि नई दरों के स्टिकर दवाओं पर लगाना अनिवार्य है। कोई भी दुकानदार पुराने दर से दवा बेचता हो तो ग्राहक बिल अवश्य लें और 1915 नंबर पर शिकायत दर्ज कराए, केमिस्ट एसोसिएशन, पुणे जिला ने सभी दवा विक्रेताओं को जीएसटी संबंधी सूचना पत्र भेजकर इसे दुकानों में प्रदर्शित करने के निर्देश दिए हैं। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विवेक तापकीर ने कहा कि बड़े विक्रेता टैक्स कटौती का लाभ देते हैं, लेकिन कई छोटे दुकानदारों के पास जीएसटी नंबर ही नहीं होता है। इसलिए उन्हें इस निर्णय का सीधा फायदा नहीं मिलता है। करीब 10% फीसदी दवा विक्रेता ही ग्राहकों को छूट देते हैं। तापकीर ने नागरिकों से अपील की है कि ग्राहक सचेत रहे, उचित कीमत पर ही दवा खरीदे। बिल लेना अनिवार्य है और गड़बड़ी का संदेह होने पर तुरंत शिकायत करे।
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