वैष्णवी हगवणे दहेज कांड (सौ. सोशल मीडिया )
Vaishnavi Hagwane Dowry Case: वैष्णवी हगवणे की मौत के मामले में आरोपी सास, ननद और पत्ति के दोस्त की जमानत याचिका को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के पी क्षीरसागर ने खारिज कर दिया, अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘दहेज हत्या समाज पर लगा एक बड़ा कलंक है’ और इसी आधार पर तीनों की जमानत याचिकाएं रद्द कर दी जाती हैं।
याद हो कि मुलशी तहसील के भूगांव इलाके में रहने वाली वैष्णवी शशांक हगवणे (24) ने 16 मई को अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। आरोप है कि दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित किए जाने के कारण वैष्णवी ने यह कदम उठाया।
इस मामले में वैष्णवी की सास लता राजेंद्र हगवणे (54), ननद करिश्मा (21) (दोनों निवासी भुकुम, मुलशी), पति शशांक (27), देवर, ससुर राजेंद्र, और पति के दोस्त नीलेश रामचंद्र चव्हाण (35, नि कर्वेनगर) को गिरफ्तार किया गया था। आरोपी सास लता, ननद करिश्मा और दोस्त नीलेश ने वकील एड विपुल दुशिंग के माध्यम से जमानत के लिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के पी क्षीरसागर की अदालत में आवेदन किया था। विशेष सरकारी वकील उज्ज्वला पवार और कस्पटे परिवार के वकील एड शिवम निम्बालकर ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया।
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सरकारी वकीलों ने तर्क दिया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में वैष्णवी के शरीर पर तीस (30) चोटों का पता चला था। उसे लगातार क्रूर तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा था। हगवणे परिवार आरोपी नीलेश पर भरोसा करता था। न्यायाधीश के पी क्षीरसागर ने सरकारी पक्ष को स्वीकार करते हुए सास, ननद और पति के दोस्त की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।