
अमोल पालेकर (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: जीवन में कब रुकना है और कहां मुड़ना है, इसके निर्णय यदि स्पष्ट हों तो इंसान हमेशा तृप्त रहता है। यह विचार प्रसिद्ध अभिनेता अमोल पालेकर ने रोटरी मराठी साहित्य सम्मेलन के दूसरे दिन व्यक्त किए।
यशवंतराव चव्हाण नाट्यगृह में आयोजित एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने अपने अभिनय सफर, साहित्य प्रेम और पुणे के प्रति अपने लगाव पर खुलकर चर्चा की।
संध्या गोखले और उत्तरा मोने के साथ संवाद करते हुए पालेकर ने कहा कि उनका ‘भाग्य’ जैसी चीजों पर कभी विश्वास नहीं रहा। उन्होंने हमेशा लीक से हटकर काम किया, यही वजह है कि उन्होंने कभी खुद को एक ही तरह की भूमिकाओं में सीमित नहीं रखा। उन्होंने नायक और खलनायक, दोनों ही पात्रों को पूरी शिद्दत से जिया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय उन निर्देशकों को दिया जिन्होंने उनकी क्षमता पर भरोसा किया।
25 वर्षों से पुणे में रह रहे पालेकर ने एक दिलचस्प टिप्पणी करते हुए कहा कि जन्मभूमि मुंबई होने के बावजूद आज की मुंबई उन्हें पराई लगने लगी है। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘आज मुझे मुंबई की गलियों के लिए गूगल मैप का सहारा लेना पड़ता है, जबकि पुणे ने मुझे वह अपनापन दिया जो कहीं और नहीं मिला।
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हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इतने साल रहने के बाद भी उनमें अभी तक वह पारंपरिक ‘पुणेरीपन’ नहीं आ पाया है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने उम्मीद जताई कि दर्शक उनके अभिनय की तरह उनके लेखन को भी भरपूर प्यार देंगे।






