देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: महायुति गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को आगामी चुनावों से पहले ही बीजेपी ने कड़ा संदेश दे दिया है। प्रभाग के नए प्रारूप में एनसीपी के मौजूदा और पूर्व नगरसेवकों के वार्डों में सबसे ज्यादा बदलाव किए गए हैं।
एनसीपी के शहराध्यक्ष सुभाष जगताप ने बताया कि इस वार्ड पुनर्गठन को लेकर पार्टी के सभी पूर्व नगरसेवकों की शिकायतें हैं और वे इस पर आपत्ति दर्ज कराएंगे। पार्टी के कई नेता इस पुनर्गठन से परेशान हैं। इससे पार्टी के पूर्व नगरसेवक काफी नाराज हैं। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से शिकायत की है। नतीजतन, महायुति में शामिल होने के बावजूद अब एनसीपी भी इस वार्ड पुनर्गठन पर आपत्तियां और सुझाव दर्ज कराएगी।
जिन इलाकों में एनसीपी का मजबूत वोट बैंक है उन्हें दूसरे वाडों में मिला दिया गया है। इससे पार्टी के उम्मीदवारों को बड़ा नुकसान होने की संभावना है। इसलिए, एनसीपी में नाराजगी का माहौल है और उन्हें लग रहा है कि गठबंधन में होने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज किया गया है। राज्य सरकार ने मनपा चुनावों के लिए 4 सदस्यों वाला एक वार्ड बनाने का फैसला किया था। उम्मीद थी कि यह पुनर्गठन महायुति के तीनों दलों के लिए सुविधाजनक होगा। लेकिन यह प्रभाग पुनर्गठन भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। कुछ हद तक शिवसेना को भी इसका लाभ मिलने की संभावना है। एनसीपी अपने मजबूत क्षेत्रों में हुए इस बदलाव से नाखुश है। मनपा में बीजेपी के सबसे ज्यादा 105 नगरसेवक हैं।
स्थानीय बीजेपी नेताओं ने शुरू से ही एकला चलो (अकेले चलो) का नारा दिया था, क्योंकि वे जानते थे कि महायुति के रूप में चुनाव लड़ने पर सीटों के बंटवारे को लेकर समस्या पैदा होगी, अब, वार्ड पुनर्गठन बीजेपी के अनुकूल होने के कारण, बीजेपी शिवसेना के साथ मिलकर एनसीपी के खिलाफ मैत्रीपूर्ण लड़ाई लड़ सकती है, ऐसे में, बाड़ों के टूटने से अगर एनसीपी अकेले चुनाव लड़ती है, तो उसे कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
ये भी पढ़ें :- पुणे के बाजारों में दिखी गणेशोत्सव की रौनक, तुलसीबाग, रविवार पेठ में ट्रैफिक ने डाला खलल
इस संबंध में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी शिकायत की जाएगी। हाल ही में घोषित प्रभाग पुनर्गठन में बीजेपी के पूर्व नगरसेवकों वाले वार्डों की औसत आबादी 76 हजार से 82 हजार रखी गई है। एनसीपी के नगरसेवकों वाले प्रभागों की आबादी 92 हजार से 95 हजार तक पहुंच गई है। खास बात यह है कि आसपास के वार्डों की आबादी में भी बड़ा अंतर है। एनसीपी के पूर्व नगरसेवकों वाले वार्डों को तोड़ा गया है और वे कहीं भी एक साथ नहीं है।