अजित पवार (pic credit; socila media)
Pune News In Hindi: राज्य सरकार की ओर से महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले स्मारकों का एकीकरण और विस्तार कर राष्ट्रीय स्मारक बनाने की योजना तैयार की गई है। इस परियोजना से प्रभावित लोगों को मुआवजा कैसे दिया जाए और पुनर्वास कैसे हो।
इससे जुड़ी एक प्रारंभिक रिपोर्ट को मनपा की स्थायी समिति ने मंजूरी दी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर विस्थापितों का पुनर्वास उसी इलाके में करने की मांग स्थानीय विधायक हेमंत रासने के साथ अन्य लोग कर रहे हैं। इसी वजह से प्रशासनिक स्तर पर मनपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस कारण स्मारक के भूमि अधिग्रहण का काम रुकने की आशंका जताई जा रही है।
राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 200 करोड़ रुपए का फंड मंजूर किया है। स्मारक का काम लंबे समय से अटका हुआ है। इसे लेकर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और मंत्री छगन भुजबल ने मनपा प्रशासन के प्रति नाराजगी जताई थी।
इसके बाद प्रशासन ने इस काम की देखरेख के लिए उपायुक्त स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की, मनपा ने युद्धस्तर पर सर्वेक्षण कर प्रभावित नागरिकों से चर्चा की और यह रिपोर्ट तैयार को कि उन्हें किस प्रकार का मुआवजा चाहिए, इसी रिपोर्ट पर स्थायी समिति ने मुआवजा नीति को मंजूरी दी है।
कसबा विधानसभा विधायक हेमंत रासने ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट में प्रभावित नागरिकों की रोजी-रोटी इसी इलाके में है। यदि उन्हें शहर के दूसरे हिस्से में बसाया गया तो उनका रोजगार प्रभावित होगा, इसलिए पुनर्वास इसी क्षेत्र में होना चाहिए, प्रशासन को इसके लिए संतुलित रास्ता निकालना होगा, मनपा की कुछ भूमि इस क्षेत्र में है उसका उपयोग किया जा सकता है।
ये भी पढ़ें :- BJP के गढ़ चिंचवड़ में Ajit Pawar का जोरदार जनसंवाद, 3,000 शिकायतों में 1,200 का तुरंत समाधान
मनपा ने पुनर्वास के लिए चार विकल्य सुझाए है। लेकिन कसबा के विधायक हेमंत रासने ने यह मांग की है कि पुनर्वास उसी क्षेत्र में किया जाए और इसके लिए आवश्यक बैठक कर निर्णय लिए जाए। प्रशासन के लिए यह स्थिति पंवीदा बन गई है, क्योंकि अगर पुनर्वास उसी इलाके में करना है ती नई जमीन खोजकर परियोजना तैयार करनी होगी, जिससे पोजेवार की अवधि कटेगी।