बॉम्बे हाई कोर्ट (pic credit; social media)
Illegal Hoardings in Maharashtra: महाराष्ट्र में अवैध होर्डिंग और बैनर को लेकर हाई कोर्ट में चल रही याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई पूरी हुई। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटिल की खंडपीठ ने याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि शिकायतों का समय पर निपटारा नहीं किया गया तो बीएमसी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए जा सकते हैं।
राज्य और मुंबई में राजनीतिक दलों द्वारा लगाए गए अवैध बैनर और होर्डिंग के खिलाफ कई जनहित याचिकाएँ हाई कोर्ट में दाखिल की गई थीं। अदालत ने इसे गंभीरता से लिया और 30 जनवरी 2017 को राज्य सरकार और महानगरपालिकाओं को सार्वजनिक स्थलों पर अवैध होर्डिंग रोकने के निर्देश जारी किए थे।
कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा कि यदि नोडल अधिकारी अपने दायित्वों का पालन नहीं करते या लापरवाही बरतते हैं, तो अदालत स्वयं विभागीय कार्रवाई का आदेश दे सकती है। अब यह देखना होगा कि क्या बीएमसी अधिकारियों की लापरवाही साबित होती है और अदालत उनके खिलाफ सख्त निर्देश देती है।
हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई 6 नवंबर को तय की है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्णय से न केवल अवैध होर्डिंगों पर रोक लगेगी, बल्कि अधिकारियों की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। अदालत का यह रुख यह संदेश देता है कि सार्वजनिक संपत्ति और कानून का पालन सभी के लिए जरूरी है।
सामाजिक और राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस मामले का निपटारा भविष्य में सार्वजनिक स्थलों पर अवैध प्रचार सामग्री के खिलाफ मिसाल बन सकता है। जनता और नागरिक संगठन भी हाई कोर्ट के आदेश की निगरानी कर रहे हैं, ताकि कानून के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई हो।