चंद्रशेखर बावनकुले (फाइल फोटो)
Pune Land Scam: जिले में सरकारी जमीन से जुड़े घोटालों का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक जमीन घोटाले का विवाद धमता नहीं है तो दूसरा सामने आ जाता है। जैन बोर्डिंग, कोढवा जमीन विवाद, बोपोडी के चाद और एक जमीन घोटाले का मामला सामने आ गया है।
अब ताथवडे इलाके में एक और बड़े सरकारी जमीन घोटाले का मामला प्रकाश में आया है। इस बार मामला पशुपालन विभाग की मालिकाना हक वाली करीब 15 एकड़ जमीन की विक्री से जुड़ा है।
प्रारंभिक जांच में इस बात की जानकारी सामने आई है कि इस जमीन की विक्री बिना किसी विभागीय अनुमति के की गई जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा है।
पशुपालन विभाग की जमीन विक्री के लेनदेन में मृतक हेरम्ब पंढरीनाथ गुपचुप का 1982 में निधन हो गया था। उनके लगभग 22 उत्तराधिकारियों ने मिलकर यह जमीन कपिल छोटाम फकीर और सैय्यद फैयाज मीर अजीमुद्दीन को जनवरी 2025 में 33 करोड़ रुपये में बेच दी थी। यह जमीन सर्वे नंबर 20, ताथवडे (ता। मुलशी, जि। पुणे) के तहत आती है।
चौंकाने वाली बात यह है कि यह जमीन पूरी तरह से सरकारी थी और उस पर पशुपालन विभाग का मालिकाना हक था। बावजूद इसके भूमि अभिलेख और पंजीयन विभाग की नजर में यह सौदा “निजी विक्रय के रूप में दर्ज किया गया और इसका रजिस्ट्रेशन भी आधिकारिक पंजीयन प्रणाली में हो गई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने तत्काल संज्ञान लिया और इस मामले में महिला सह-उप पंजीयक विद्या शंकर बड़े को निलंबित कर दिया, साथ ही विभागीय स्तर पर विस्तृत जांच के आदेश जारी किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार इस जमीन की बिक्री के लिए पशुपालन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी, जब मुद्रांक शुल्क विभाग के जरिए यह जानकारी पशुपालन विभाग तक पहुंची तो विभाग ने तुरंत विभागीय आयुक्त, पुणे से इसकी शिकायत की।
इसके बाद विभागीय आयुक्त और पशुपालन विभाग की संयुक्त टीम ने इसकी जांच शुरू की है। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि किस प्रक्रिया के तहत सरकारी जमीन को निजी संपत्ति के रूप में पंजीकृत कर उसकी बिक्री की अनुमति दी गई।
प्रारंभिक जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि संबंधित अधिकारी और भूमाफिया के बीच मिलीभगत की संभावना है। जमीन की कीमत करोड़ों रुपये में बताई जा रही है। यह पूरा सौदा जनवरी 2025 में हुआ जबकि उस समय संबंधित जमीन का कोई अधिसूचना परिवर्तन या हस्तांतरण प्रक्रिया भी विभागीय रिकॉर्ड में नहीं थी।
ताथवडे का यह मामला हाल के महीनों में सामने आए चौथे बड़े सरकारी जमीन घोटाले के रूप में सामने आया है। इससे पहले जैन बोर्डिंग, मुंढवा और बोपोडी की सरकारी जमीनों के लेनदेन में भी भारी अनियमितताएं सामने आई थीं।
इन मामलों में भी सरकारी जमीन को निजी बताकर करोड़ों के सौदे किए गए थे। इन लगातार खुलासों ने पुणे जिले में सरकारी संपत्ति प्रबंधन की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए है। शहर में तेजी से बढ़ती जमीन की कीमतों के कारण भूमाफिया, दलाल और कुछ भ्रष्ट अधिकारी मिलकर “जमीन माफिया नेटवर्क” के रूप में काम कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें :- Mumbai में स्लम क्लस्टर पुनर्विकास योजना लागू, सरकार ने जारी किया जीआर
यह आरोप स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लगाया है। फिलहाल विभागीय आयुक्त और पशुपालन विभाग की संयुक्त जांच जारी है। संबंधित जमीन के कागजात, विक्रय पत्र, पंजीयन प्रक्रिया और मुद्रांक शुल्क के रिकॉर्ड की छानबीन की जा रही है।