भारतीय रेलवे (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
मुंबई: भारतीय रेल के तमाम प्रयासों को बावजूद भी रेल यात्रियों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। अब हर सीजन में ट्रेन का आरक्षित टिकट पाने के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ती है। गर्मी की छुट्टियां शुरू होते ही महानगर मुंबई से यूपी-बिहार व अन्य राज्यों की ओर जाने वाली गाड़ियों में तो बेतहासा भीड़ बढ़ जाती है।
अप्रैल-मई में अपने गांव घर की ओर जाने वालों को 60 दिन पहले लाइन लगाने के बावजूद उन्हें ट्रेनों का कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाया है। यहां तक कि 24 घंटे की ट्रेन यात्रा के लिए आरक्षण कार्यालयों पर 48 घंटे लाइन लगाने पर भी बड़ी संख्या में यात्रियों को मायूस होना पड़ा है। अप्रैल मई में छुट्टियों के साथ शादी ब्याह का मौसम होने से लाखों की संख्या में लोग अपने मुलुक की यात्रा करते हैं। मई में भाई की शादी में शामिल होने के लिए जौनपुर जाने वाले संजय प्रजापति ने कहा कि लगातार 2 दिनों तक ठाणे आरक्षण कार्यालय पर लाइन लगाने के बावजूद उन्हें कन्फर्म टिकट नहीं मिला। यहां तक कि कुछ ट्रेनों में 2 मिनट में ही वेटिंग लिस्ट भी फुल हो जा रही है। पुष्पक, गोदान, पवन, कुर्ला गोरखपुर, महानगरी, कुशीनगर जैसी यूपी की ट्रेनों में इस समय दो महीने बाद का टिकट मिलना भी जैसे बड़ा सपना सच होने जैसा है।
दो महीने बाद का गांव का टिकट पाने के लिए मुंबई के विभिन्न पीआरएस पर महिलाएं व बुजुर्ग भी रात भर लाइन में बैठे रहते हैं। ठाणे आरक्षण कार्यालय पर लाइन में लगी एक महिला ने बताया कि यहां बाथरूम की हालत भी बहुत खराब है। पंखे ठीक से नहीं चल रहे और वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्पेशल खिड़की होने की वजह से कई बुजुर्ग भी अपने और परिवार का टिकट लेने के लिए लाइन में लगते हैं। यहां तक कि रातभर मच्छरों से बचने के लिए लोग अगरबत्ती जला कर बैठे सोए रहते हैं। रेगुलर ट्रेनों के अलावा तत्काल टिकट के लिए अलग से लाइन लगती है।
उत्तर भारत की तरफ ही नहीं बल्कि के कोंकण, उड़ीसा और दक्षिण भारत जाने वाले यात्री भी कन्फर्म टिकट के लिए परेशान हैं। दो माह बाद मालवण जाने के लिए लाइन में लगे जास्वन्द फर्नांडिस ने कहा कि कोंकण की ट्रेनों का भी कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा है। वे अपनी पत्नी के साथ रात भर लाइन में खड़े होंगे तब जाकर उन्हें शायद टिकट मिल पाएगा। ठाणे पीआरएस पर टिकट के लिए 24 घंटे से लाइन में लगे इरशाद अली को सपरिवार उड़ीसा के बालासोर जाना है, रोजे के दौरान उन्हें दिन रात लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पहले खिड़की नंबर और टोकन देते थे, लेकिन अब नियम बदल गया है।
आजमगढ की ट्रेन का कन्फर्म टिकट पाने की आस में 36 घंटे से लाइन लगाने वाले ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि पहले 4 माह का टिकट थोड़ी आसानी से मिलता था। अब 2 माह करने से मुश्किल बढ़ गई है. ठाणे पीआरएस पर 9 खिड़की है,लेकिन खुलती मात्र 6 है। जिसमें आम यात्रियों के लिए 4 जबकि 2 खिड़की बुजुर्ग और दिव्यांग यात्रियों के लिए खुलती है। हालांकि लाइन लगाने के दौरान आरपीएफ की भूमिका को लेकर यात्रियों ने संतुष्टि जताई। दलालों व अनधिकृत व्यक्तियों पर रोक लगाने के लिए लाइन में लगे यात्रियों के नाम,उनके फोटो,हाजिरी और आधारकार्ड भी ठाणे आरपीएफ द्वारा रोजाना सबेरे चेक किया जाता है। हालांकि कुछ यात्रियों की शिकायत है कि टिकट खिड़की पर बुकिंग में कुछ देरी की वजह से दूसरे-तीसरे नंबर के यात्री को भी कन्फर्म टिकट नहीं मिल पा रहा है।
यात्रियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए मध्य रेलवे की ओर से समर स्पेशल ट्रेनें छोड़े जाने की योजना हर साल बनती है। मध्य रेलवे के सीपीआरओ डॉ स्वप्निल नीला ने बताया कि उत्तरभारत सहित अन्य राज्यों के लिए भी गर्मी की छुट्टियों में 1 हजार से ज्यादा समर स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी। सीपीआरओ डॉ नीला ने कहा कि ज्यादातर यात्री रेगुलर ट्रेनों से यात्रा करना चाहते हैं जबकि रेलवे बड़ी संख्या में समर स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था भी करती है। पिछले वर्ष पूरे सीजन में लगभग 700 ट्रेनें चलाई गई जबकि इस साल 1 हजार स्पेशल ट्रेनें चलाने की योजना है। आरक्षित,अनारक्षित स्पेशल ट्रेनें अप्रैल के पहले सप्ताह से शुरू हो जाएंगी। सीपीआरओ डॉ नीला के अनुसार अप्रैल से जून के दौरान सीएसएमटी, एलटीटी,पनवेल,पुणे,नागपुर और साईनगर शिर्डी से विभिन्न गंतव्यों के लिए 1 हजार समर स्पेशल चलाने की योजना बनी है।
सूर्यप्रकाश मिश्र की रिपोर्ट