प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Palghar Woman Panchayat Officer Threat Case: पालघर जिले की अदालत ने 2018 में महिला पंचायत अधिकारी को धमकाने के मामले में दो आरोपियों को दोषी ठहराया है। गंभीर आरोपों से बरी कर उन्हें पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया। अदालत ने मोबाइल तोड़ने जैसी घटनाओं के आधार पर फैसला सुनाया।
पालघर जिले की अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 1 दिसंबर को 2018 में हुई घटना के मामले में फैसला सुनाया। अदालत ने जयश्री जगन धनवा और शिवदास गंगाराम तांबडी को मोबाइल तोड़ने और धमकी देने जैसे कार्यों के लिए दोषी ठहराया। हालांकि, सरकारी कर्मचारी पर हमला करने और अपमान करने के गंभीर आरोपों से दोनों को बरी कर दिया गया।
यह घटना 25 सितंबर 2018 को खरशेत गांव में हुई। महिला पंचायत अधिकारी आवास योजना के सर्वेक्षण के लिए गई थीं। आरोपियों ने अपने नाम की सूची में गड़बड़ी को लेकर अधिकारी से बहस की और कथित तौर पर अपशब्द कहे। आरोप है कि तांबडी ने अधिकारी का मोबाइल फोन छीनकर तोड़ दिया।
पालघर की अदालत ने अभियोजन पक्ष के सबूतों का विश्लेषण करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता उस समय कानूनी रूप से अपने कर्तव्य का पालन कर रही थीं या नहीं, यह साबित नहीं हुआ। इसी कारण भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी पर हमला) के तहत आरोप साबित नहीं हुए। अपशब्दों के मामले में भी अदालत ने कहा कि यह साबित करना कठिन था कि ये धारा 504 के अंतर्गत आते हैं।
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अदालत ने आरोपियों को धारा 506 और 427 के तहत दोषी ठहराया। न्यायालय ने जुर्माने के रूप में प्रत्येक आरोपी पर पांच-पांच हजार रुपये का प्रावधान किया, जिसमें से 7,000 रुपये शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे। अदालत ने स्पष्ट किया कि धारा 427 में यह जरूरी नहीं कि संपत्ति पीड़ित की ही हो, बल्कि घटना के समय उसके पास होना पर्याप्त है।