बंदरगाह विकास मंत्री नितेश राणे (pic credit; social media)
मुंबई: महाराष्ट्र में हिंदी बनाम मराठी विवाद अभी भी जारी है। इसका असर अब सड़कों पर भी दिखने लगा है। हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें मनसे के कार्यकर्ता एक दुकानदार से हिंदी में बात करने पर पिटाई कर रहे थे। साथ ही मराठी भाषा में बात करने की जोर जबरदस्ती कर रहे थे। इस बीच महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने कहा है कि ये गोल टोपी दाढ़ी वाले मराठी बोलते हैं क्या? ये जावेद अख्तर, आमिर खान ये लोग क्या मराठी बोलते हैं क्या? ये केवल गरीब हिंदुओं के लिए है? गरीब और हिन्दुओं पर अगर कोई हाथ उठाएगा तो कार्रवाई होगी।
नितेश राणे ने कहा, हिंदू को मारा गया है। इतनी हिम्मत है तो नल बाजार और मोहम्मद अली रोड पर ये करके दिखाओ। उधर जाकर कान के नीचे बजाने की हिम्मत नहीं है। गरीब हिंदू को क्यों मारा जा रहा है। हिंदुत्व विचार की सरकार है। सरकार तीसरी आंख खोलेगी। हिंदुओं में फूट डालने की साजिश हो रही है। मुस्लिम राष्ट्र बनाने की कोशिश हो रही है।
Mumbai, Maharashtra: On the incident of assault on the Hindi-speaking community, Minister Nitesh Rane says, “If they have the courage, let them go to places like Null Bazaar, Mohammed Ali Road, or Malvani and tell those wearing caps and sporting beards to speak in Marathi. Do… pic.twitter.com/Td3wZxaIgR
— IANS (@ians_india) July 3, 2025
मनसे के कार्यकर्ताओं ने की थी मारपीट
पिछले दिनों मराठी नहीं बोलने पर राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार की पिटाई कर दी। इस मामले में पुलिस ने FIR दर्ज की है। शनिवार शाम को MNS कार्यकर्ताओं ने मीरा रोड पर बालाजी होटल के पास स्थित जोधपुर स्वीट्स के मालिक के साथ मारपीट की थी। इस मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। वीडियो में मनसे कार्यकर्ता दुकानदार से मराठी में बोलने के लिए कहते सुनाई दे रहे हैं। हिंदी बोलने पर आपत्ति जता रहे हैं।
5 जुलाई को होगा मार्च
महाराष्ट्र में हाल में मराठी बनाम हिंदी की बहस नए सिरे से तब शुरू हुई, जब देवेंद्र फडणवीस सरकार ने आदेश जारी कर कहा कि पहली से पांचवी तक के स्कूलों में तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी पढ़ाई जाएगी। इसे विपक्षी दलों ने बड़ा मुद्दा बनाया। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को मार्च का ऐलान किया। हालांकि भारी विरोध के बाद 29 जून को सरकार ने फैसला वापस ले लिया।