तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान (pic credit; social media)
Tejas Mk-1A Fighter Aircraft: नासिक से देश की आत्मनिर्भर रक्षा ताकत को नई रफ्तार मिलने जा रही है। लंबे इंतजार के बाद अब वो दिन आ गया है जब भारतीय वायुसेना का गर्व स्वदेशी लड़ाकू विमान ‘तेजस एमके-1ए’ उड़ान भरने को तैयार है। शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एचएएल की नासिक परियोजना में पहले तेजस एमके-1ए विमान का रोलआउट (औपचारिक प्रक्षेपण) करेंगे।
यह वही तेजस है जो भारत की ‘मेक इन इंडिया’ नीति का सबसे दमदार प्रतीक बन चुका है। करीब पौने दो साल की देरी के बाद आखिरकार वायुसेना को यह सौगात मिलने जा रही है। तेजस के आने से अब पुराने हो चुके मिग-21 जैसे लड़ाकू विमानों की जगह अत्याधुनिक और स्वदेशी विमान लेंगे।
भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल 42 स्क्वाड्रन की स्वीकृति है, लेकिन दो मिग-21 स्क्वाड्रन के सेवानिवृत्त होने से यह संख्या घटकर सिर्फ 29 सक्रिय स्क्वाड्रन रह गई है, जो पिछले छह दशकों में सबसे कम है। यही वजह है कि तेजस के रोलआउट को लेकर उत्साह और उम्मीदें दोनों ही चरम पर हैं।
वायुसेना ने एचएएल को 83 तेजस एमके-1ए विमानों का ऑर्डर दिया है, जिसकी कुल कीमत करीब 48,000 करोड़ रुपये है। इस विमान की खासियत यह है कि इसमें 75% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। हालांकि इसका इंजन अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस का एफ-404 मॉडल है, जिसे भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत स्थानीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है।
एचएएल की बेंगलुरु यूनिट के साथ अब नाशिक प्लांट भी तेजस निर्माण की जिम्मेदारी संभालेगा। इससे न सिर्फ उत्पादन क्षमता बढ़ेगी बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग को भी नई उड़ान मिलेगी।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि तेजस न केवल वायुसेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा। अब सबकी निगाहें शुक्रवार की उस ऐतिहासिक घड़ी पर टिकी हैं, जब नाशिक से भारत की ‘तेजस’ रफ्तार दुनिया को दिखेगी।