
विरोध के बाद साधुग्राम का ले-आउट बदलेगा तपोवन में 1800 पेड़ काटने के बवाल पर प्रशासन का फैसला
Nashik News: तपोवन में 54 एकड़ ज़मीन पर करीब 1800 पेड़ों को काटने के मुद्दे पर मचे बवाल और इस प्रश्न को लेकर राज्य स्तर पर हो रहे आंदोलनों को देखते हुए, सिंहस्थ कुंभमेला से पहले प्रशासन ने अपनी छवि धूमिल होने से बचाने के लिए तपोवन में नियोजित साधुग्राम के ले-आउट को बदलने की तैयारी शुरू कर दी है। विश्वसनीय खबर है कि जिस क्षेत्र में घने पेड़ हैं, वहां दुपहिया पार्किंग बनाई जाएगी, जबकि खाली जगहों पर अखाड़ों के लिए तंबू लगाकर जगह के प्लॉट काटे जाएँगे।
तपोवन में वृक्षों की कटाई को लेकर पर्यावरण और वृक्ष प्रेमियों द्वारा जताए गए विरोध और दर्ज आपत्तियों की संख्या को देखते हुए, राज्य के पर्यावरण प्रेमियों ने भी इस आंदोलन में उतरने की तैयारी दिखाई है। प्रशासन ने दर्ज आपत्तियों की सुनवाई करने का प्रयास किया, लेकिन उपस्थित लोगों के विरोध के कारण यह सुनवाई कानूनी रूप से पूरी नहीं हो सकी। इसलिए उद्यान अधीक्षक ने इस संबंध में अंतिम निर्णय की गेंद आयुक्त के पाले में डाल दी है।
ऐसी स्थिति में, इस मुद्दे का राजनीतिकरण होने की संभावना अधिक है, जिसे टालने के लिए प्रशासन उन कदमों को उठा रहा है जिससे अधिक से अधिक पेड़ बचाए जा सकें और साधुग्राम के नियोजित ले-आउट में बदलाव किया जा सके। विशेष रूप से, घने पेड़ों वाली जगहों पर दुपहिया पार्किंग या वैसी ही अन्य सुविधाएं खड़ी करके पेड़ों को नुकसान न पहुंचाने और खाली व बंजर ज़मीन पर तंबू लगाकर उन्हें अखाड़ों और खालसों के उपयोग के लिए देने के संबंध में एक योजना तैयार की जा रही है। इस संबंध में एक ले-आउट बदला भी जा चुका है।
इस बीच, उद्यान अधीक्षक विवेक भदाणे ने स्पष्ट किया है कि तपोवन के पेड़ों पर लाल रंग के जो क्रॉस (फुल्या) लगाए गए हैं, उनका अर्थ वृक्षों की कटाई नहीं है, बल्कि यह केवल पेड़ों की गणना करते समय लगाए गए निशान हैं। उन्होंने कहा कि अभी इस प्रश्न पर कई कानूनी प्रक्रियाएँ पूरी की जानी बाकी हैं। भदाणे ने बताया कि अभी केवल पेड़ों की संख्या की गणना हुई है। इस जगह पर क्या काम किए जाएँगे, उनसे कितने पेड़ प्रभावित होंगे, उनमें से कितने पेड़ों को बचाकर काम किया जा सकता है, इसका अध्ययन करना बाकी है, और वर्तमान में तपोवन में इस संबंध में दूसरा सर्वेक्षण किया जा रहा है।
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इस सर्वेक्षण में महत्वपूर्ण पेड़ों को संरक्षण देने योग्य तथा काटने योग्य पेड़ों की संख्या निश्चित की जाएगी। ऐसा प्रस्ताव तैयार कर उसे अतिरिक्त आयुक्त के माध्यम से आयुक्त को और आयुक्त द्वारा वृक्ष प्राधिकरण समिति को भेजा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सर्वेक्षण और प्रभावित होने वाले पेड़ों की संख्या स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक आपत्तियों की सुनवाई पूरी नहीं होगी।






