स्वामी शंकराचार्य और संजय राउत (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nashik Kumbh Scam: शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने नाशिक कुंभ मेला 2026 की तैयारियों में भयंकर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया है। राउत ने दावा किया है कि एक छोटा-सा 9 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट 300 करोड़ रुपए में ठेका दे दिया गया। साथ ही कुल 25 हजार करोड़ रुपए के टेंडर गुजरात की कंपनियों को ट्रांसफर कर दिए गए हैं।
संजय राउत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महाराष्ट्र का पैसा गुजरात भेजा जा रहा है। कुंभ मेला के नाम पर लूट मची हुई है। 16 गांवों की जमीन जबरन ली जा रही है और ठेके सिर्फ गुजरात की फर्मों को दिए जा रहे हैं। इससे पहले भी अक्टूबर 2025 में राउत ने कुंभ मेला तैयारियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और किसानों की जमीन छीनने का आरोप लगाया था। जवाब में भाजपा ने उन्हें ‘हिंदू-विरोधी’ करार देते हुए हमला बोला था।
कुंभ मेला 2026 में महाराष्ट्र सरकार ने अब तक हजारों करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की है। विपक्ष का दावा है कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही और सारा खेल गुजरात की कंपनियों के पक्ष में किया जा रहा है। राउत ने सरकार से मांग की है कि कुंभ मेला के सभी टेंडर और खर्च का पूरा हिसाब सार्वजनिक किया जाए।
आगामी सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए तपोवन क्षेत्र में साधुग्राम बनाने हेतु 1,825 पेड़ काटे जाने की योजना का पर्यावरण प्रेमी लगातार विरोध कर रहे हैं। अब इस वृक्षतोड़ के खिलाफ ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भी मैदान में उतर आए हैं। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए आरोप लगाया कि साधुग्राम की यह योजना साधु-महंतों के लिए नहीं, बल्कि किसी और गलत मकसद के लिए जबरन थोपी जा रही है।
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शंकराचार्य ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि तपोवन में अगर पेड़ कटे गए तो कुंभ का अमृतस्नान भी आनंददायक नहीं रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि कौन से महात्मा हैं जो कुंभस्नान करने जाएंगे और सिर पर पेड़ काटने का पाप लेकर आएंगे? पेड़ काटना महापाप है। तपोवन के इन प्राचीन वृक्षों के नीचे न जाने कितने साधु-महंतों ने तपस्या की होगी।
इन पेड़ों को काटकर यहां साधुग्राम नहीं बनना चाहिए। शंकराचार्य का यह कड़ा रुख सामने आने के बाद नाशिक में कुंभ की तैयारियों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। पर्यावरण प्रेमी और संत समाज अब एकजुट होकर वृक्षतोड़ का विरोध कर रहे हैं।