जलगांव चुनाव (pic credit; social media)
Jalgaon Election: महाराष्ट्र में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों से पहले मतदाता सूचियों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी प्रारूप मतदाता सूचियों ने विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि मतदाता सूचियों की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई है।
8 अक्टूबर को जिला परिषद, नगर पालिका और महानगर पालिकाओं के लिए प्रारूप मतदाता सूचियां जारी की गई थीं। आयोग ने 14 अक्टूबर तक आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए हैं। लेकिन राजनीतिक दलों का आरोप है कि ये सूचियां केवल सार्वजनिक की गई हैं, उन्हें प्रतियां नहीं दी गईं।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप पवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के जिलाध्यक्ष प्रमोद पाटिल ने कहा, “लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टियों को सूचियां दी जाती हैं, तो फिर यहां ऐसा भेदभाव क्यों? यह प्रशासन की मनमानी है।”
कई दलों ने आरोप लगाया है कि यह सूचियां सत्ताधारी दलों के इशारे पर तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। राज्य निर्वाचन आयोग ने हालांकि शिकायतों के बाद वेबसाइट लिंक साझा किया है, लेकिन उस पर उपलब्ध मतदाता सूची में नागरिकों के फोटो नहीं हैं। इससे मतदाताओं की पहचान करना मुश्किल हो रहा है।
विपक्षी दलों का कहना है कि यह एक सुनियोजित प्रयास है ताकि आपत्तियां कम दर्ज हों। कई जिलों में पार्टियों के प्रतिनिधियों को सूची की डिजिटल कॉपी तक नहीं मिली है।
वहीं, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उपजिलाधिकारी (निर्वाचन शाखा) डॉ. विजय ढगे ने कहा,“सूचियां पूरी पारदर्शिता से तैयार की गई हैं। किसी को कोई शिकायत है तो वह 14 अक्टूबर तक आपत्ति दर्ज करा सकता है। उसके बाद अंतिम सूची अपडेट की जाएगी।”
हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां जोरों पर हैं। जिला परिषद और पंचायत समिति के अध्यक्ष पदों के आरक्षण की घोषणा हो चुकी है। नगर पालिकाओं और महानगर पालिकाओं के प्रभाग और आरक्षण की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। लेकिन राजनीतिक संग्राम ने साफ कर दिया है कि स्थानीय निकाय चुनावों से पहले राज्य की सियासत गरमाने वाली है।