नवरात्रोत्सव
Nashik News: हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार नवरात्र शुरू हो गया है। इस साल ‘शारदीय नवरात्र’ का उत्सव 11 दिनों तक चलेगा। यह पर्व आदि शक्ति, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत और स्त्री शक्ति के सम्मान का प्रतीक है। पहले दिन, यानी आज, घटस्थापना के साथ ही उत्सव का आगाज हुआ। इस मौके पर शहर में महिलाएं पूजा सामग्री खरीदने के लिए बाजारों में उमड़ पड़ीं। बढ़ती महंगाई का असर पूजा सामग्री पर भी देखने को मिला। उपवास में खाया जाने वाला चिवड़ा 280 रुपये प्रति किलो और शकरकंद (रतालू) 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा था।
आम तौर पर, नवरात्र 9 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें प्रत्येक दिन देवी के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी को सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, इस दौरान कन्या पूजन, कन्या भोज और होम हवन किए जाते हैं। कुछ भक्त नौ दिनों तक सप्तशती या देवी के पाठ का पारायण करते हैं। पूर्व नगरसेवक समीर पाटनकर ने बताया कि त्र्यंबकेश्वर के जंगलों में नवदुर्गा, दशमहाविद्या और देवी के जागृत स्थान मौजूद हैं। 26 सितंबर को ललिता पंचमी के अवसर पर ललिता सहस्रनाम और श्री सूक्त का पाठ किया जाएगा। 30 सितंबर को हवन के साथ नवचंडी पूजन करना शुभ माना गया है।
सार्वजनिक देवी मंडल त्र्यंबकेश्वर में भी गरबा और डांडिया नृत्य कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। स्थानीय मंदिरों को भी नवरात्र उत्सव के लिए सजाया गया है। वेदिका पाटनकर के अनुसार, नवरात्र के दौरान कुलदेवी के दर्शन करने और कुल की परंपराओं का पालन करने की प्रथा है। युवा और विवाहित महिलाएं नवरात्र के नौ दिनों में नौ अलग-अलग रंगों की साड़ियां पहनती हैं।
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ज्योतिष और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक रंग का अपना महत्व होता है और यह देवी के एक विशेष रूप से संबंधित होता है। यह परंपरा समाज में अच्छाई को अपनाने का संकेत भी देती है। कुछ जगहों पर तांत्रिक पूजा के अनुसार दशमहाविद्या और 64 योगिनियों की पूजा भी की जाती है, जबकि कुछ लोग ‘साती आसरा’ की पूजा करते हैं। नवरात्र का समापन 2 अक्टूबर, गुरुवार को दशहरे के साथ होगा। त्र्यंबकेश्वर में 64 योगिनियों का मंदिर बनाने की भी मांग की जा रही है।