
भाजपा (सौजन्य-सोशल मीडिया)
BJP Dominance in Panvel Polls: नवी मुंबई की ‘ट्विन सिटी’ के रूप में तेजी से उभरते पनवेल शहर में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। महानगरपालिका बनने के बाद यह पनवेल का दूसरा आम चुनाव है, जो शहर के भविष्य की दिशा तय करेगा। बढ़ते शहरीकरण और बुनियादी ढांचे में हुए बदलावों के बीच, इस बार का मुकाबला 2017 के मुकाबले काफी अलग और दिलचस्प होने की उम्मीद है।
साल 2017 में हुए पहले मनपा चुनाव में पनवेल की कुल 78 सीटों पर मतदान हुआ था। उस समय मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शेतकरी कामगार पार्टी (शेकाप) के बीच देखा गया था। चुनाव नतीजों में भाजपा ने 51 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। वहीं, शिवसेना ने 23 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस महज 2-2 सीटों पर सिमट कर रह गई थीं।
पिछले आठ वर्षों में पनवेल की राजनीति ने कई बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं। 2017 में भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाली शेतकरी कामगार पार्टी आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। पार्टी के दिग्गज नेता विवेक पाटिल करनाला बैंक घोटाले के आरोप में जेल में हैं, जिससे पार्टी का संगठनात्मक ढांचा चरमरा गया है। कई कद्दावर नेता शेकाप का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं, जिससे पार्टी का जनाधार काफी कमजोर हुआ है।
दूसरी ओर, शिवसेना में हुई बड़ी फूट ने पनवेल में विपक्षी एकता को गहरा घाटा पहुँचाया है। पार्टी दो गुटों (शिंदे और यूबीटी) में विभाजित होने के कारण कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति है। कांग्रेस और राकांपा की मौजूदगी अभी भी केवल कुछ पॉकेट्स तक ही सीमित नजर आ रही है।
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पनवेल का विस्तार अब नवी मुंबई से भी आगे निकल चुका है। नए बन रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट और नैना (NAINA) प्रोजेक्ट के कारण यहाँ की आबादी और बुनियादी जरूरतों में बड़ा बदलाव आया है। भाजपा जहाँ अपने पिछले कार्यकाल के विकास कार्यों के दम पर वोट मांग रही है, वहीं विपक्ष बढ़ते टैक्स और अनियोजित शहरीकरण को मुद्दा बनाने की कोशिश में है।
हालांकि, मौजूदा समीकरणों को देखते हुए फिलहाल भाजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है, लेकिन देखना यह होगा कि क्या विपक्षी दल एकजुट होकर कोई नया ‘दांव’ चल पाते हैं।






