
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Nashik Agriculture News: इस साल पूरे जिले में भारी बारिश होने के कारण रबी का मौसम देर से शुरू हुआ, लेकिन दिसंबर महीने में बुआई ने तेजी पकड़ ली है। कृषि विभाग के डेटा के मुताबिक, 12 दिसंबर 2025 तक नाशिक जिले में 1 लाख 14 हजार हेक्टेयर के औसत एरिया में से 64 हजार 350 हेक्टेयर में रबी की फसल की बुआई हो चुकी है।
| फसल | औसत क्षेत्रफल (हेक्टेयर) | बुआई हुआ क्षेत्र (हेक्टेयर) | बुआई प्रतिशत |
|---|---|---|---|
| गेहूं (Wheat) | 64,233 | 32,275 | 50.24% |
| चना (Gram) | 33,357 | 16,782 | 50.30% |
| मक्का (Maize) | 9,284 | 10,032 | 108.05% |
| कुल/औसत | — | — | 54.69% |
सबसे आगे (70% से अधिक) नांदगांव, सुरगाणा और सिन्नर तहसील रबी की बुआई में सबसे आगे रहे हैं। सुरगाणा में सर्वाधिक 85।68 प्रतिशत बुआई हुई है। सबसे कम (33% से कम): सबसे कम यानी केवल 22।34 प्रतिशत बुआई निफाड तहसील में हुई है। इगतपुरी और त्र्यंबकेश्वर में भी बुआई की रफ़्तार धीमी रही है।
इस साल नाशिक जिले में भारी बारिश की वजह से रबी की बुआई में देरी हुई। भारी बारिश के कारण किसानों के खेत कई दिनों तक सूखे नहीं। हालांकि, डैम में भरपूर पानी होने के कारण सिंचाई के लिए पानी की समस्या हल होने की उम्मीद है। कृषि विभाग के अनुसार, गेहूं और प्याज की फसलों के लिए ठंडा मौसम अच्छा है, जिससे रोग लगने की संभावना कम है।
रबी का मौसम जोरों पर शुरू हो गया है, लेकिन बीज और खाद के आसमान छूते दामों की वजह से किसान एक बार फिर पैसे की तंगी में आ गए हैं। मक्का और सोयाबीन का पहले से ही कोई दाम नहीं मिल रहा है, इसलिए किसान कर्ज लेकर और उधारी करके अपनी फसल बो रहे हैं।
भारी बारिश ने नाशिक जिले में खरीफ की फसलों पर बुरा असर डाला था। खरीफ की फसलें अधिक समय तक खेतों में रहने और भारी बारिश के कारण खेतों में पानी का स्तर बढ़ने से किसानों के खेत कई दिनों तक सूख नहीं पाए।
इस वजह से, किसानों का रबी सीजन देर से शुरू हुआ। हालांकि, खरीफ में हुए नुकसान से हार न मानते हुए किसानों ने नई रबी फसल के लिए मक्का, ज्वार, चना और गेहूं की फसलों को जोर-शोर से बोना शुरू कर दिया है।
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दिसंबर में बुआई में तेजी आने से, दिसंबर के आखिर तक बुआई का अधिकतर काम पूरा हो जाएगा और किसान अगली फसल से उम्मीदें लगाए बैठे हैं।इस साल, रबी की तीन मुख्य फसलों गेहूं, चना और प्याज की बुआई में सबसे अधिक देरी हुई है।
ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि इन फसलों को बुआई के समय लगातार नमी की जरूरत होती है, जो बारिश के तुरंत बाद खेतों में जलभराव के कारण पूरी नहीं हो पा रही थी।
किसानों को मिट्टी के सही तरह से सूखने का इंतजार करना पड़ा, जिसके चलते बुआई टलती रही। अब पानी हटने और मौसम ठंडा होने के कारण बुआई ने रफ्तार पकड़ी है।






