नासिक जिला बैंक की इमारत (फोटो नवभारत)
Nashik District Bank Sell Head Office Building: भारी मात्रा में बढ़ते बकाया, आर्थिक संकट और बैंकिंग लाइसेंस रद्द होने की छाया में चल रहे नासिक जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक ने अपनी देनदारी (दायित्व) कम करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। बैंक ने द्वारका स्थित अपनी तीन मंजिला आलीशान नई प्रशासनिक इमारत को बिक्री के लिए निकाल दिया है।
यह इमारत 2007 में तत्कालीन अध्यक्ष और वर्तमान मंत्री माणिकराव कोकाटे के कार्यकाल में बनाई गई थी। कभी राज्य में प्रतिष्ठित मानी जाने वाली यह जिला बैंक अब अपनी मुख्यालय इमारत बेचकर संकट से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। बैंक को आर्थिक घाटे से उबारने के लिए इमारत की बिक्री एक महत्वपूर्ण विकल्प माना जा रहा है।
इस संबंध में, नासिक महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण (NMRDA) ने इमारत का शासकीय मूल्य जानने की पहल की है और बैंक ने इमारत खरीद का प्रस्ताव प्राधिकरण के समक्ष रखा है।
बैंक के तत्कालीन प्रशासकों ने कर्ज सामोपचार (समझौते से) चुकौती योजना लागू की थी। इससे अब तक 40 करोड़ रुपये वसूल हो चुके हैं। हालांकि, अपेक्षित राशि न मिलने के कारण इमारत बेचने का प्रस्ताव रखा गया। राज्य सरकार ने जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली मॉनिटरिंग समिति (सनियंत्रण समिती) को बिक्री के अधिकार दिए हैं।
संचालकों के अनियंत्रित कामकाज और बढ़ते एनपीए (NPA) के कारण बैंक कठिनाई में फंसी हुई है। कर्ज वसूली ही एकमात्र विकल्प है, लेकिन किसान संगठनों के विरोध के कारण वसूली प्रक्रिया में बाधाएं आ रही हैं।
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इस इमारत का शासकीय मूल्य 23 करोड़ रुपये है। वहीं न्यूनतम बोली मूल्य 32 करोड़ रुपये तय की गई है। आचार संहिता की समाप्त होने के बाद ई-निविदा प्रक्रिया के तहत इसकी बिक्री होगी।
जिला बैंक प्रशासक संतोष बिडवई ने बताया कि एनएमआरडीए ने इमारत का शासकीय मूल्य पूछा है। हालांकि, मॉनिटरिंग समिति की अनुमति से ई-निविदा प्रक्रिया लागू की जाएगी। आचार संहिता समाप्त होने के बाद यह प्रक्रिया शुरू होगी।